जयपुर. हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि राष्ट्रीयता है. इसलिए संप्रदायों की लिस्ट में हिंदू को खड़ा करना हिंदुत्व का अपमान होगा. यह कहना है भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और चिंतक डॉ. महेश चंद शर्मा का. जयपुर के निजी होटल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय वाड्मय के संदर्भ में भारतीय राजनीति की विरासत विषय पर वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से वार्ता के दौरान शर्मा ने यह बात कही.
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इस दौरान महेशचंद शर्मा ने यह भी कहा कि 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री यह तो कहते आए हैं कि आज का दिन देश की आजादी का दिन है, लेकिन जवाहर लाल नेहरू से नरेंद्र मोदी तक आज किसी भी प्रधानमंत्री ने यह नहीं कहा कि आज ही के दिन देश का मजहब के नाम पर बंटवारा हुआ, जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
कृतित्व को ना जानेंगे तो व्यक्तित्व को आखिर कैसे जानेंगे : शर्मा
वार्ता के दौरान डॉ. महेश चंद शर्मा ने कहा कि कई लोग पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लिए कहते हैं कि अब ये महापुरुष कहां से आ गए. क्योंकि, अधिकतर लोग उनके कृतित्व के बारे में जानते ही नहीं. शर्मा के अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय को नहीं जानना अस्वाभाविक नहीं है. क्योंकि, जिन बातों के कारण पंडित दीनदयाल को जाना जाना चाहिए था, उन बातों का आमजन को पता ही नहीं है.
जयपुर में वार्ता में डॉ. महेशचंद शर्मा ने विभिन्न विषयों पर रखी अपनी बात शर्मा के अनुसार जब आप किसी के कृतित्व के बारे में नहीं जानेंगे, उस व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसे पहचान सकेंगे. शर्मा के अनुसार बहुत कम लोगों को मालूम है कि देश के विभाजन के दौरान कौन लोग थे, जो अखंड भारत के पक्ष में थे. उनके अनुसार गोवा की आजादी में बलिदान किस-किस ने दिया, यह भी लोगों को नहीं पता. जो लोग यह जानेंगे तो वह उपाध्याय को भी जान जाएंगे.
उपाध्याय से जुड़ी पुस्तक में इस शब्द पर त्रिवेदी ने जताई आपत्ति
वार्ता के दौरान वरिष्ठ पत्रकार और लेखक विजय त्रिवेदी ने इस वार्ता के दौरान एक पुस्तक का भी जिक्र किया और उसके कुछ अंशों पर आपत्ति भी जताई. जिसमें हिंदुत्व को भागीरथी और अन्य संस्कृति को पॉल्यूशन लिखा गया था. वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा का अन्य महापुरुषों की विचारधारा से मतभेद से जुड़े सवाल भी त्रिवेदी ने महेशचंद शर्मा से किए.
वार्ता के दौरान महेश चंद्र शर्मा ने अखंड भारत शब्द की विस्तृत परिभाषा भी बताई. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की भाजपा से जुड़ी पुस्तक की प्रति डॉ. महेश शर्मा को भी भेंट की गई. कार्यक्रम में शामिल श्रोताओं के साथ डॉ. महेशचंद शर्मा का खुला संवाद भी हुआ. जिसमें उन्होंने श्रोताओं की जिज्ञासाए भी शांत की.