जयपुर. राजस्थान में गहलोत खेमे के विधायकों ने हाई पॉलिटिकल ड्रामा के बीच अपने इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी को (resignations of MLAs to CP Joshi) सौंप दिए हैं. इस्तीफे सौंपने के बाद से अब तक स्पीकर जोशी की तरफ से इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. स्पीकर की चुप्पी के बीच इस्तीफों की संख्या और वैधानिकता (number and legality of resignations of MLAs) को लेकर संशय बरकरार है.
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर छिड़े सियासी संग्राम के दरमियान रविवार रात में गहलोत खेमे के विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिए. स्पीकर जोशी को दिए इस्तीफों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं. गहलोत खेमा 102 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है. लेकिन इस्तीफे कितने विधायकों ने दिए हैं, इसकी कोई अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है. किस प्रोफार्मा में ये इस्तीफे दिए गए हैं, इस पर भी संश्य बरकरार है. इन इस्तीफों पर अब तक सीपी जोशी ने कोई निर्णय नहीं किया है. आइये हम विशेषज्ञ से यह जानते हैं कि किसी विधायक के इस्तीफा देने और उसे स्वीकार या अस्वीकार करने को लेकर क्या नियम हैं.
विधायकों के इस्तीफों की संख्या और वैधानिकता पर संशय पढ़ें.Rajasthan Political Crisis : विधायक इस नियम के तहत दें इस्तीफा तो स्पीकर कर सकता है मंजूर
इस्तीफे को लेकर यह है नियमः राजस्थान विधानसभा से जुड़े नियमों के जानकार और विधानसभा में संपादन शाखा के उप सचिव और संपादक रहे सुरेश जैन ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर कोई भी विधायक निर्धारित प्रोफार्मा में अपना इस्तीफा देता है तो स्पीकर को उसे नियमत: स्वीकार करना पड़ता है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में तो यह अभी साफ नहीं हो पा रहा कि कितने विधायकों ने इस्तीफा दिया है और वह निर्धारित प्रोफार्मा में है भी या नहीं.
पढ़ें.गहलोत खेमे की बगावत: स्पीकर को सौंपा इस्तीफा, नहीं हो पाई विधायक दल की बैठक
विधायक चाहे तो कोर्ट की शरण ले सकता हैः सुरेश जैन कहते हैं कि जिन विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर को दिया है. उस पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को ही लेना है, लेकिन यदि निर्णय लेने में कुछ समय ज्यादा लगता है तो फिर विधायक कोर्ट में भी शरण ले सकते हैं. लेकिन सिर्फ वही विधायक इस मामले में कोर्ट जा सकते हैं जिन्होंने इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को दिया है और स्पीकर उस पर निर्णय नहीं कर रहे हैं. माना जा रहा है कि यह दबाव की राजनीति है. इसलिए कोई विधायक कोर्ट नहीं जाएंगे.
पढ़ें.जोश-जोश में इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन अब गेंद सीपी जोशी के पाले में है : खाचरियावास
स्पीकर के निर्णय के बाद कोर्ट में हो सकता है चैलेंजः सुरेश जैन ने बताया कि नियम के अनुसार त्यागपत्र पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेना होता है. वह निर्णय इस्तीफा स्वीकार करने या अस्वीकार करने से जुड़ा हो सकता है. लेकिन स्पीकर के निर्णय के बाद कोई भी विधायक असंतुष्ट होने पर निर्णय के खिलाफ कोर्ट की शरण ले सकता है. यही कारण है कि मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व में कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे पर भी अपना कोई निर्णय नहीं सुनाया क्योंकि तब ऐसा होता तो संभवत: बीजेपी उसे कोर्ट में चैलेंज कर देती.
बीजेपी उठा रही स्पीकर की कार्यशैली पर सवालःराजस्थान में सियासी संग्राम (Rajasthan Political Crisis) के बीच सभी की निगाहें स्पीकर सीपी जोशी पर टिकी हुई है. वहीं भाजपा के नेता स्पीकर जोशी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. भाजपा का साफ तौर पर कहना है कि जब नियम अनुसार विधायकों ने स्वयं प्रस्तुत होकर विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपे हैं तो फिर जोशी उस पर निर्णय क्यों नहीं ले रहे हैं?.
रामलाल शर्मा का स्पीकर पर आरोप संवैधानिक पद पर हैं स्पीकर जोशी, लेकिन उनकी भूमिका भी संदिग्ध- रामलाल शर्मा
प्रदेश के मौजूदा सियासी घटनाक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी की भूमिका को भाजपा ने भी संदिग्ध बताया है. भाजपा प्रदेश मुख्य प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में हेमाराम चौधरी के इस्तीफे का प्रकरण हो या सरकार पर आए सियासी संकट का मामला तब भी विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध थी. शर्मा ने कहा विधानसभा अध्यक्ष संवैधानिक पद होता है और इस पद पर बैठा हुआ व्यक्ति किसी पार्टी की विचारधारा या पार्टी के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता लेकिन मौजूदा घटनाक्रम में जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया उस पर कोई निर्णय ना करके संशय की स्थिति पैदा करना उचित नहीं है. शर्मा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को नियमों और प्रक्रियाओं के तहत जो भी निर्णय है उसे तुरंत करना चाहिए.