जयपुर. राजस्थान में 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव संपन्न हो चुके हैं. जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के हथियार से ही कांग्रेस को पटखनी दे दी. कांग्रेस की जिला परिषद सदस्य रमा चोपड़ा ने भाजपा की सदस्यता ली और फिर भाजपा जिला प्रमुख बन गईं. इसके बाद कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह तेज हो गई.
अंतर्कलह इस बात को लेकर है कि बगावत करने वाले दोनों ही जिला परिषद सदस्य पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी की चाकसू विधानसभा से आते हैं. चाकसू के दोनों जिला परिषद सदस्यों के क्रॉस वोटिंग करने के बाद वेद सोलंकी गुट और सरकार गुट में आरोप प्रत्यारोप भी चल रहे हैं. यहां तक कि पार्टी के जयपुर संभाग के प्रभारी गोविंद मेघवाल ने अपनी रिपोर्ट में जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में हुई हार के लिए वेद सोलंकी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया. कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने भी गोविंद मेघवाल की रिपोर्ट को दिल्ली अजय माकन को भिजवा दिया है.
लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई करवाई होगी, यह लगता नहीं. क्योंकि क्रॉस वोटिंग का यह मामला अकेले जयपुर जिले का नहीं है. इन्हीं चुनावों में भरतपुर और दौसा जिला प्रमुख चुनाव में भी ऐसा हो चुका है. साल 2020 में हुए पंचायत चुनावों में जैसलमेर, सीकर और झुंझुनू के जिला प्रमुख चुनावों में भी कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य क्रॉस वोटिंग कर चुके हैं. बीते साल के मामले में जिम्मेदार नेताओं पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है, तो सवाल यह कि क्रॉस वोटिंग के ताजा मामले में अब क्या कार्रवाई होगी.
जयपुर जिला प्रमुख नहीं बना पाने पर कांग्रेस के जयपुर जिला प्रभारी गोविंद मेघवाल ने वेद सोलंकी पर आरोप लगाए तो पायलट कैंप के विधायकों ने भी जमकर पलटवार किया. पायलट कैम्प के विधायकों ने पार्टी को याद दिलाते हुए मांग की, कि कार्रवाई की बात केवल जयपुर में क्यों की जा रही है. जबकि क्रॉस वोटिंग भरतपुर में भी हो चुकी है.
आरोप यह भी लगाए गए कि पिछले साल जैसलमेर में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी कांग्रेस के जिला परिषद मेंबरों के क्रॉस वोटिंग करने और भाजपा का जिला प्रमुख बनने पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की ओर से पंचायती राज चुनाव में क्रॉस वोटिंग नई बात नहीं है. राजस्थान में 6 जिलों के चुनाव में जयपुर जिला प्रमुख का पद कांग्रेस की क्रॉस वोटिंग के कारण चला गया. लेकिन भरतपुर और दौसा में भी क्रॉस वोटिंग हुई थी. हालांकि भरतपुर और दौसा की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं हुआ था.
साल 2020 में भी जैसलमेर जिला प्रमुख का पद कांग्रेस के ही जिला परिषद सदस्यों की क्रॉस वोटिंग के चलते कांग्रेस के हाथ से निकल गया था. इन्हीं चुनाव में सीकर और झुंझुनू के कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने कांग्रेस के खिलाफ वोट किया था. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पास पहले से ही पूर्ण बहुमत था, लेकिन तब कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने भाजपा के जिला प्रमुख को अपना वोट दिया था. इतना ही नहीं, कांग्रेस के सिंबल पर जीत कर आए पंचायत समिति सदस्यों ने भी क्रॉस वोटिंग करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी और कई जगह प्रधान का पद भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया था.
कहां और कब-कब कांग्रेस में हुई क्रॉस वोटिंग
जयपुर जिला प्रमुख चुनाव- जयपुर जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बहुमत से ज्यादा सदस्य जीते थे. माना जा रहा था कि जिला प्रमुख कांग्रेस का ही बनेगा. लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने कांग्रेस के सिंबल पर जीत कर आई रमा चोपड़ा को भाजपा ज्वाइन करवा दी. साथ ही उन्हें जिला प्रमुख का उम्मीदवार भी बना दिया. कांग्रेस के ही जिला परिषद सदस्य जैकी टाटीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ क्रॉस वोट कर दिया. जिसके चलते जयपुर में जिला प्रमुख भाजपा का बन गया और कांग्रेस पूर्ण बहुमत के बावजूद हाथ मलते रह गई.
भरतपुर जिला प्रमुख चुनाव - भरतपुर में जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के 37 में से 14 सदस्य चुनाव जीते. भाजपा के 17 सदस्य जीत कर आए थे. 4 निर्दलीय और 2 बसपा के सदस्य जिला प्रमुख की चाबी बने. लेकिन भरतपुर के चुनाव में निर्दलीय और बसपा के जिला परिषद सदस्यों ने तो भाजपा के प्रत्याशी जगत सिंह को वोट दे दिया. साथ ही कांग्रेस के 5 जिला परिषद सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा के जगत सिंह के पक्ष में मतदान कर दिया. कांग्रेस पार्टी के खुद के 14 वोट थे, लेकिन के पक्ष में 9 वोट ही पड़े. भले ही भरतपुर में बसपा और निर्दलीयों के सहारे भाजपा जिला प्रमुख बनाने में सफल हो जाती लेकिन कांग्रेस की क्रॉस वोटिंग ने भाजपा की जीत को बड़ा बना दिया.