जयपुर. जयपुर के एक होटल में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण देने के लिए शनिवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया गया. लॉर्ड्स एजुकेशन एंड हेल्थ सोसायटी (एलईएचएस-विश) और वाधवानी इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल हेल्थ केयर (डब्ल्यूआईएसएच) के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्राथमिक सेवा केंद्रों के 19 चिकित्सा अधिकारी शामिल हुए. इन्हें न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) और डॉजी (कार्डियक एन्ड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनिटर) के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षित किया गया. इंटरनेट से संचालित इन दोनों डिवाइस की खासियत यह है कि इन्हें जीएनएम भी ऑपरेट कर सकेंगे.
विश फाउंडेशन के स्टेट डायरेक्टर बिस्वा रंजन पटनायक ने बताया कि राजस्थान के 14 जिलों में पीपीपी मॉडल पर आधारित 21 उप केंद्रों और प्राथमिक सेवा केंद्रों पर इन अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि यह जांच फ़िलहाल केंद्र सरकार के बायो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बिरक) के दिशा निर्देश में की जा रही है. इसके बाद विश फाउंडेशन इसकी रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को साझा करेंगी. जिसके बाद देश और प्रदेश के समस्त सरकारी चिकित्सालयों में इन डिवाइस के माध्यम से जांच संभव हो पाएगी.
विश फाउंडेशन की सीईओ राजेश रंजन सिंह ने कहा कि राजस्थान के ग्रामीण लोगों की जांच अत्याधुनिक उपकरणों से की जा रही है. डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जांच अब अत्याधुनिक न्यूरो टच उपकरण से संभव होगी. इससे इस बीमारी का प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाकर उसका समुचित इलाज संभव हो जाए. इसी तरह डॉजी उपकरण के जरिए हृदय एवं श्वास संबंधी रोगों का प्राथमिक स्तर पर पता लगाकर समय पर उपचार किया जा सकता है.