जयपुर. राजधानी के मानसरोवर क्षेत्र में 9 साल के मासूम को पांच आवारा कुत्तों ने काटकर घायल कर दिया. मामला भले ही 19 मई का है लेकिन मुंहाना थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अब ग्रेटर नगर निगम महापौर ने पशु प्रबंधन उपायुक्त से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. हालांकि महापौर ने जिस एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम की रिपोर्ट मांगी है वह फरवरी महीने से बंद पड़ा है. इसका कारण संबंधित फर्म को निगम प्रशासन की ओर से पेमेंट नहीं किया जाना बताया जा रहा है.
राजधानी में गर्मी के दिनों में बढ़ते डॉग बाइटिंग के मामलों में अब शहर वासी स्थानीय पुलिस थाने में भी एफआईआर दर्ज करा रहे हैं. ताजा मामला मुहाना थाना क्षेत्र का है जहां राधा निकुंज कॉलोनी में आवारा कुत्तों ने एक मासूम को नोंच डाला. करीब 45 इंजेक्शन और 3 दिन अस्पताल में रहने के बाद मासूम अपने घर पहुंचा. वहीं मासूम पर किए गए कुत्तों के हमले का वीडियो भी लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसे लेकर स्थानीय लोगों में भी भारी रोष है.
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उधर, मामले पर संज्ञान लेते हुए ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने पशु प्रबंधन उपायुक्त से तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाई है. उन्होंने निगम की ओर से चल रहे एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम की भी सतत मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं. वहीं महापौर ने कहा कि यदि प्रोग्राम में किसी तरह की खामी मिलती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हालांकि महापौर के संज्ञान में ये बात नहीं कि निगम का एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम फरवरी से बंद पड़ा है.
महापौर ने स्ट्रीट डॉग्स के अलावा पालतू डॉग के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई भी तेज करने की बात कही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा डॉग आईडेंटिफाई हो और उनका रजिस्ट्रेशन और वैक्सीनेशन हो. महापौर ने ये भी तर्क दिया कि कोर्ट के आदेशों के तहत स्ट्रीट डॉग्स का बंध्याकरण करने के बाद उन्हें दोबारा उसी स्थान पर छोड़ना होता है. वहीं अब निगम प्रशासन इस तेज गर्मी में एग्रेशन की एक बड़ी वजह पानी की कमी को दूर करने के लिए वार्ड वाइज पानी की टंकियां रखवाना शुरू करेगा.
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गर्मियों में क्यों बढ़ जाते हैं डॉग बाइटिंग के मामले: गर्मियों के सीजन में डॉग्स को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. प्यास नहीं बुझने पर वे एग्रेसिव होकर हमले करते हैं. तेज गर्मी ने कई क्षेत्रों में छायादार जगह (शेल्टर) नहीं होने से इस वातावरण में ढलना डॉग्स के लिए मुश्किल हो जाता है. गर्मी में दिन के समय फीडर्स निकलते नहीं, जिसकी वजह से डॉग भूखे रह जाते हैं और जब उन्हें खाना नहीं मिलता तो वो गुस्से में किसी को भी काट लेते हैं. एडल्ट डॉग्स का टेस्ट्रॉन लेवल बढ़ जाता है. हालांकि एबीसी प्रोग्राम के तहत है उनकी नसबंदी की जाती है और जिन डॉग्स की नसबंदी नहीं हो पाती उनका हार्मोन लेवल बढ़ता है और वे आक्रमक हो जाते हैं.
इस संबंध में वेटरनरी सर्जन और कंसलटेंट डॉ सुभाष सिंह ने बताया कि एडल्ट डॉग की मेटिंग नहीं होने से वो एग्रेसिव होते जाते हैं. एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत सर्जरी कर डॉग्स की टेस्टिकल निकाली जाती है. इससे उनका टेस्ट्रॉन डाउन हो जाता है और वे कम एग्रेसिव हो जाते हैं. डॉ सुभाष ने गर्मी के दिनों में आम जनता से अपील की है कि घरों के बाहर स्ट्रीट डॉग के के लिए पानी की व्यवस्था रखें. साथ ही उन्हें दिन के समय भी कुछ खाने के लिए देते रहें और उनके शेल्टर की भी व्यवस्था करें. अगर शेल्टर की व्यवस्था नहीं कर सकते तो कम से कम एक पेड़-पौधा ही लगा दें, ताकि उन्हें छाया मिल सके.