राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

#NMC बिल : हड़ताल पर देश के 3 लाख डॉक्टर्स, जयपुर के डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध - doctors strike

एनएमसी बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर्स हड़ताल पर है. इस कड़ी में राजधानी के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स ने भी बुधवार को काली पट्टी बांधकर बिल का विरोध जताया. ये बिल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह लेगा और इसमें कई बदलाव किए गए है, जिसका आईएमए विरोध कर रहा है.

Doctors protested with black bars

By

Published : Jul 31, 2019, 12:34 PM IST

जयपुर. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल 2019 के खिलाफ देशभर के लगभग तीन लाख डॉक्टर एक दिन की हड़ताल पर है. वहीं राजधानी के डॉक्टर्स भी इसका विरोध जता रहे है. राजधानी जयपुर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स ने मरीजों के हित में सोचते हुए ओपीडी का बहिष्कार नहीं किया है लेकिन सभी डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया है.

बता दें कि ये बिल मेडिकल काउंसिल की जगह लेगा और इसमें कई बदलाव किए गए है, जिसका आईएमए विरोध कर रहा है. आईएमए के समर्थन में प्रदेश के जार्ड एसोसिएशन भी काली पट्टी बांधकर विरोध जता रही है.

डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

यह भी पढ़ें: अजमेर : राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित होने के बाद भी मुस्लिम समाज में नजर आया असंतोष

जयपुरिया अस्पताल के डॉ जीवराम सिंह ने बताया कि बिल के अनुसार अशिक्षित लोगों को छोटा सा ब्रिज कोर्स करवा कर शिक्षित करना चाहते है जो कि मरीजों के हित मे नहीं है. बिल के तहत नॉन मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे है.

डॉ विद्या प्रकाश का कहना है कि आईएमए के आवाह्न पर देशव्यापी बंद की सूचना अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ को विलंब से मिली है जिसके चलते सभी चिकित्सक सिर्फ काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जता रहे है.

ये है बिल
1. सेक्शन 32 के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता का प्रावधान एनएमसी को यह अधिकार होगा कि वह उन लोगों का समिति संख्या में लाइसेंस जारी करेगा जो आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रशिक्षित नहीं हैं लेकिन वह गांवों में गरीब और जरूरतमंद लोगों का आधुनिक चिकित्सा पद्धति की दवाइयों से उपचार करेंगे. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता स्वयं के स्तर पर उपचार कर आधुनिक दवाइयां लिख सकेंगे और ज्यादा स्थिति खराब होने पर मेडिकल डॉक्टर को रेफर करेंगे.

यह भी पढ़ें:नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी, वर्गवार सीटें निर्धारित

2. देशभर में संचालित 506 मेडिकल कॉलेजों में से 279 निजी क्षेत्र से हैं. एनएमसी बिल के अनुसार अब 50 फीसदी सीटों पर फीस का निर्धारण निजी मेडिकल कॉलेज अपने स्तर पर कर सकेंगे. इससे गरीब और मेरिट में आने वाले छात्रों के स्थान पर धनवान व्यक्ति इन सीटों को खरीदकर अपने बच्चों को चिकित्सक बना सकेंगे. इस नियमों से सालभर 18 हजार सीटें योग्य विद्यार्थियों को नहीं मिल सकेगी और धनवान व्यक्ति खरीद लेंगे.

3. मेडिकल छात्र अंतिम वर्ष को एमबीबीएस परीक्षा देंगे वो पूरे भारत में एक समान होगी जो एग्जिट टेस्ट के नाम से होगी. इसको पास करने पर ही मेडिकल ग्रैजुएट प्रैक्टिस कर सकेगा. पीजी में एडमिशन भी इसी परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर होगा, जो उचित नहीं है.

4. मेडिकल शिक्षा के छात्रों के करिकुलम में होम्योपैथी, आयुर्वेदिक पैथी को पढ़ाने का प्रावधान किया जा रहा है. इससे सभी पैथी का सम्मिश्रण हो जाएगा और आधुनिक चिकित्सा पद्धति का महत्व खत्म हो जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details