जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में चल रही उठापटक अभी भी जारी है. प्रदेश प्रभारी अजय माकन भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 2 दिन तक 4:30 घंटे चर्चा कर और उनके सुझाव लेकर दिल्ली चले गए हों, लेकिन अब एक बात साफ हो गई है कि राजस्थान में जब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं होगा तब तक न प्रदेश में कांग्रेस संगठन के जिला अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी और न ही मंत्रिमंडल विस्तार होने से पहले प्रमुख पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां होगी.
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इसके पीछे कारण एक बार फिर गहलोत और पायलट कैंप के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी ही है. जहां सचिन पायलट लगातार प्रदेश में पावर शेयरिंग के लिए मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं, तो वहीं कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ हुई मीटिंग में कह दिया है कि वह पहले कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दें उसके बाद सही समय देखकर कैबिनेट विस्तार भी कर दिया जाएगा. अब इस बात पर पायलट कैंप ने भी अजय माकन तक यह मैसेज भिजवा दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही संगठन में विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां की जाए.
कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में कैबिनेट विस्तार बना रोड़ा प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने जून के आखिरी सप्ताह में जब कांग्रेस के जिला प्रभारियों से जिला अध्यक्ष के लिए नाम मांगे थे तो उम्मीद बंधी की साढ़े 11 महीने बाद ही सही लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को नए जिलाध्यक्ष मिल जाएंगे. लेकिन जानकारों की मानें तो अब पायलट कैंप ने भी साफ कर दिया है कि राजस्थान में जिलाध्यक्ष, मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का काम एक साथ किया जाए.
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वहीं, दूसरी ओर गहलोत और माकन के बीच हुई मुलाकात के बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है और मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अजय माकन वापस कांग्रेस आलाकमान से गहलोत के दिए गए सुझाव पर चर्चा करेंगे और राजस्थान आकर गहलोत को आलाकमान की बातों से अवगत कराएंगे. जिसमें अभी समय लगेगा.
कहा जा रहा है कि सप्ताह भर बाद वापस अजय माकन जयपुर दौरे पर आएंगे और उसके बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर स्थिति साफ होगी. ऐसे में अब साफ है कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होती है तो उसके साथ ही राजस्थान में कांग्रेस संगठन के विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में भी देरी होगी.
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के संगठन में 39 जिलाध्यक्ष होते हैं. वैसे तो गोविंद सिंह डोटासरा को जब बीते साल जुलाई में सचिन पायलट को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो उसके साथ ही सभी जिलाध्यक्षों समेत पूरे राजस्थान संगठन को भंग कर दिया गया था. ऐसे मे डोटासरा के अध्यक्ष बनने के बाद अब करीब 1 साल हो गया है, लेकिन अब भी जिलाध्यक्ष वो नहीं बना सके हैं.
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इसके साथ ही राजस्थान में 2 जिले बूंदी और धौलपुर ऐसे हैं, जहां विधानसभा चुनावों में पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ बगावत करने के चलते बूंदी के तत्कालीन जिलाध्यक्ष सीएल प्रेमी और धौलपुर के तत्कालीन जिलाध्यक्ष अशोक शर्मा को पार्टी से निष्कासित करना पड़ा. लेकिन, आज ढाई साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इन दोनों जिलों को जिलाध्यक्ष नहीं मिल सका है. वहीं, चित्तौड़गढ़ के जिलाध्यक्ष मांगीलाल धाकड़ के निधन के बाद डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत गया है, लेकिन चित्तौड़गढ़ में भी जिलाध्यक्ष नहीं मिल सका है.