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जयपुर: ट्रांसपोर्ट नगर योजना में आवंटियों की मांगें बनीं रोड़ा, नीतिगत निर्णय के लिए राज्य सरकार तक पहुंचाई मांगें

जयपुर में सीकर रोड पर ट्रांसपोर्ट नगर योजना बसाने की कवायद बीते 18 सालों में भी पूरी नहीं हो पाई है. योजना के आवंटन दर के मुद्दों पर आवंटियों की अलग-अलग मांगें जेडीए प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. हालांकि अब नीतिगत निर्णय करने के लिए सभी मांगों को राज्य सरकार तक पहुंचाया गया है.

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ट्रांसपोर्ट नगर योजना में आवंटियों के एसोसिएशन ही बने रोड़ा

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Published : Jan 2, 2021, 5:10 PM IST

जयपुर.राजधानी के सीकर रोड पर बसाई ट्रांसपोर्ट नगर योजना की आवंटन दरों को लेकर ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के गुट इस योजना के बीच रोड़ा बने हुए हैं. इसके साथ ही यहां सबसे बड़ा मुद्दा आवंटन की दरों का है. दरअसल, दूसरे फेज के आवंटी बढ़ी हुई 13 हजार 500 रुपए की दरों पर भूखंड नहीं लेना चाहते हैं. इनकी मांग पहले फेज के लिए आवंटित दरों पर ही भूखंड देने की है.

ट्रांसपोर्ट नगर योजना में आवंटियों के एसोसिएशन ही बने रोड़ा

हालांकि अब दर से संबंधित मामले को सुलझाने के लिए जेडीए ने राज्य सरकार को तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी है. इस संबंध में जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना में फेज-2 के आवंटियों की 13 एसोसिएशन है. जिनकी अलग-अलग मांगों को लेकर आपस में मतभेद हैं. ऐसे में जेडीए प्रशासन ने सभी एसोसिएशन से मांगे प्राप्त कर नीतिगत निर्णय के लिए राज्य सरकार को भिजवाया है.

उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना एग्जीक्यूट होने पर शहर से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बाहर शिफ्ट हो सकेगा. भारी वाहनों की आवाजाही शहर में बंद होगी और उससे सेफ्टी भी बढ़ेगी और ट्रैफिक भी सरल होगा. वहीं, ट्रांसपोर्ट नगर में एक ही जगह सभी सुविधाएं होने से ना सिर्फ ट्रांसपोर्ट व्यवसाय विकसित होगा, बल्कि अन्य उद्योग और व्यवसाय भी लाभान्वित होंगे.

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बता दें कि जेडीए ने साल 2007 में सीकर रोड पर 252.79 हेक्टेयर भूमि पर ट्रांसपोर्ट नगर योजना बसाई थी. ये योजना वीकेआई औद्योगिक क्षेत्र और दिल्ली बायपास स्थित ट्रांसपोर्ट नगर के व्यवसायियों को शहरी सीमा से बाहर शिफ्ट करने के लिए बसाई थी. इस योजना के पहले चरण में 1346 जनों को आवंटन किया था. इसके बाद दूसरे फेज की लॉटरी जनवरी 2017 में निकाली गई और उस समय 972 लोगों का आवंटन किया गया था. पहले फेज में आवंटन की दरें 1 हजार 111 प्रति वर्ग मीटर रखी थी. जबकि दूसरे फेज में आवंटन दरें बढ़ाकर 13 हजार 500 कर दी गई थी.

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