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राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने प्रधानाध्यापक पद से पदावनत करने पर लगाई रोक

जयपुर में पदोन्नत किए याचिकाकर्ता प्रधानाध्यापक को पुन: द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर पदावनत कर दिया गया था. इस आदेश पर राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने रोक लगा दी है. साथ ही अधिकरण ने शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने राज्य सरकार के आदेश पर लगाई रोक

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Published : Nov 30, 2019, 8:38 PM IST

Updated : Nov 30, 2019, 9:45 PM IST

जयपुर.राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने राज्य सरकार के उस आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है, जिसके तहत पदोन्नत किए याचिकाकर्ता प्रधानाध्यापक को पुन: द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर पदावनत कर दिया गया था. इसके साथ ही अधिकरण ने शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अधिकरण ने यह आदेश मातादीन कल्याण की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.

अपील में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को मार्च 1990 में द्वितीय श्रेणी अध्यापक पद पर नियुक्ति किया गया था. वहीं 28 जुलाई 2016 को उसे पदोन्नत कर प्रधानाध्यपक पद पर झुंझनूं में पदस्थापित किया गया.

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अपील में कहा गया कि विभाग ने पिछले 29 अगस्त को अपीलार्थी का पक्ष जाने बिना और बिना किसी कारण उसे द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर पदावनत कर दिया. अपील में कहा गया कि विभागीय पदोन्नति समिति ने उसकी नियमानुसार पदोन्नति की थी. इसके अलावा वह इस पद पर लंबे समय से काम कर रहा है. ऐसे में उसे पदावनत करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने अपीलार्थी को पदावनत करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाईकोर्ट ने कृषि विभाग से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने जुलाई 2014 में कृषि विभाग से रिटायर्ड हुए कर्मचारी को पेंशन-परिलाभ नहीं देने पर कृषि विभाग और पेंशन विभाग से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश गुप्ता की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को विभागीय जांच लंबित होने के चलते पेंशन परिलाभ नहीं दिए गए. वहीं जून 2019 में विभागीय जांच समाप्त होने के बाद भी उसे पेंशन परिलाभ से वंचित रखा जा रहा है.

इस संबंध में शिकायत करने पर कृषि विभाग और पेंशन विभाग एक-दूसरे में जिम्मेदारी डाल रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने दोनों विभागों के संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को दिए आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए हैं कि वह दसवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र के माता-पिता का नाम स्कूल रिकॉर्ड में सुधारे. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश छात्र अनिल ताखर की ओर से अपने पिता के जरिए दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामअवतार बोचल्या ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के स्कूल रिकॉर्ड में उसके पिता का नाम बाबूलाल चौधरी की जगह बाबूलाल ताखर और मां का नाम पप्पी देवी के स्थान पर पुष्पा देवी अंकित हो गया है. इस संबंध में स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग में कई बार शिकायत दर्ज कराई. लेकिन, स्कूल रिकॉर्ड में माता-पिता के नामों को सही नहीं किया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता का स्कूल रिकॉर्ड सुधारने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Nov 30, 2019, 9:45 PM IST

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