जयपुर. राजस्थान के सीकर और पाली जिले में दो परिवारों ने सामूहिक आत्महत्या की. इन घटनाओं ने यह सवाल खड़े कर दिए कि आखिर परिवार के एक सदस्य के जाने के बाद किस तरह से पूरा परिवार अवसाद में आकर सामूहिक आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम देता है.
ईटीवी भारत ने जब इस गंभीर विषय पर एक्सपर्ट से समझने की कोशिश की तो सामने आया कि समाज में परिवारों का विघटन और एकल परिवार सामूहिक आत्महत्या की बड़ी वजह हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...
मनोचिकित्सक मनस्वी गौतम बताते हैं कि आत्महत्या जैसे कदम को कोई भी परिवार या व्यक्ति उस वक्त उठाता है जब उसके पास किसी भी तरह का और कोई रास्ता नहीं बचता. हालांकि यह अलग बात है कि आत्महत्या करने जैसे कदम उठाने के हालात अलग-अलग हो सकते हैं.
तेजी से बदल रहा सामाजिक पारिवारिक ढांचा
सामाजिक और पारिवारिक ढांचा तेजी से बदल रहा है. अब परिवार अलग-अलग और एकल रहने लगे हैं. लोगों को एक दूसरे की समस्या सुनने और समाधान करने का वक्त नहीं बचा है. जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. मौत का रास्ता उस वक्त ही बचता है जब उसे दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आता.
पढ़ें-युवक की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, डीएसपी ने दिए जांच के निर्देश
इन परिवारों ने उठाया दहलाने वाला कदम
21 फरवरी को सीकर में बेटे की मौत के गम में एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी. पिता ने पत्नी और दो बेटियों के साथ फांसी लगाई ली. सुसाइड नोट में इस परिवार के मुखिया ने लिखा कि उनके पास सब कुछ है, बस बेटा नहीं है. इसी तरह से पाली जिले में पत्नी के छोड़ कर चले जाने की वजह से पति ने 8 साल की बेटी और 10 साल के बेटे को कुएं में धकेलकर खुद भी खुदकुशी कर ली थी.
आंकड़ों पर नजर डालें तो -
- विश्व मे हर वर्ष 10 लाख से अधिक लोग खुदखुशी करते हैं
- दुनिया में हर 7 से 10 सैकेंड मे एक सुसाइड की घटना होती है
- भारत में हर 7 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है
- देश में सड़क दुर्घटना के बाद खास आयुवर्ग में आत्महत्या मौत का दूसरा बड़ा कारण है