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SPECIAL : परिवारों का विघटन सामूहिक आत्महत्याओं की बड़ी वजह...देश में हर 7 मिनट में हो रही एक आत्महत्या - आत्महत्याओं की वजह

परिवारों का विघटन और बढ़ते एकल परिवार सामूहिक आत्महत्या की बड़ी वजह. देश में लगातार बढ़ रहे हैं आत्महत्या के आंकड़े. हर 7 मिनट में एक व्यक्ति कर रहा है आत्महत्या. काउंसलिंग सेंटर की तादाद बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह अपने समाज के प्रति दायित्वों का निर्वहन करे.

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प्रदेश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले

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Published : Feb 27, 2021, 7:31 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 7:43 PM IST

जयपुर. राजस्थान के सीकर और पाली जिले में दो परिवारों ने सामूहिक आत्महत्या की. इन घटनाओं ने यह सवाल खड़े कर दिए कि आखिर परिवार के एक सदस्य के जाने के बाद किस तरह से पूरा परिवार अवसाद में आकर सामूहिक आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम देता है.

ईटीवी भारत ने जब इस गंभीर विषय पर एक्सपर्ट से समझने की कोशिश की तो सामने आया कि समाज में परिवारों का विघटन और एकल परिवार सामूहिक आत्महत्या की बड़ी वजह हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

प्रदेश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले

मनोचिकित्सक मनस्वी गौतम बताते हैं कि आत्महत्या जैसे कदम को कोई भी परिवार या व्यक्ति उस वक्त उठाता है जब उसके पास किसी भी तरह का और कोई रास्ता नहीं बचता. हालांकि यह अलग बात है कि आत्महत्या करने जैसे कदम उठाने के हालात अलग-अलग हो सकते हैं.

तेजी से बदल रहा सामाजिक और पारिवारिक ढांचा

तेजी से बदल रहा सामाजिक पारिवारिक ढांचा

सामाजिक और पारिवारिक ढांचा तेजी से बदल रहा है. अब परिवार अलग-अलग और एकल रहने लगे हैं. लोगों को एक दूसरे की समस्या सुनने और समाधान करने का वक्त नहीं बचा है. जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. मौत का रास्ता उस वक्त ही बचता है जब उसे दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आता.

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इन परिवारों ने उठाया दहलाने वाला कदम

21 फरवरी को सीकर में बेटे की मौत के गम में एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी. पिता ने पत्नी और दो बेटियों के साथ फांसी लगाई ली. सुसाइड नोट में इस परिवार के मुखिया ने लिखा कि उनके पास सब कुछ है, बस बेटा नहीं है. इसी तरह से पाली जिले में पत्नी के छोड़ कर चले जाने की वजह से पति ने 8 साल की बेटी और 10 साल के बेटे को कुएं में धकेलकर खुद भी खुदकुशी कर ली थी.

पाली में पत्नी से नाराज पति ने दो बच्चों की हत्या के बाद की आत्महत्या

आंकड़ों पर नजर डालें तो -

  • विश्व मे हर वर्ष 10 लाख से अधिक लोग खुदखुशी करते हैं
  • दुनिया में हर 7 से 10 सैकेंड मे एक सुसाइड की घटना होती है
  • भारत में हर 7 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है
  • देश में सड़क दुर्घटना के बाद खास आयुवर्ग में आत्महत्या मौत का दूसरा बड़ा कारण है
    बेटे की मौत के गम में परिवार ने की सामूहिक आत्महत्या

अचानक नहीं होती आत्महत्या

मनोचिकित्सक अनिता गौतम बताती हैं कि मौत का रास्ता चुनना किसी तरह से अचानक लिया हुआ निर्णय नहीं होता. इसके लिए कुछ दिन लगते हैं. कई बार महीने दो महीने भी लगते हैं. लगातार तनाव और किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने की वजह से खुदकुशी के रास्ते को चुना जाता है.

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आत्महत्या से पहले के हालात को समझें

कई बार मरने वाला इस आत्महत्या की बात लगातार कहता रहता है. लेकिन उसकी इस बात को कोई गंभीरता से नहीं लेता. अगर उनकी इस बात को समय रहते गंभीरता से लिया जाये तो आत्महत्या के आंकड़ों में कमी आ सकती है.

कोरोना काल में बढ़े मामले

प्रदेश में सामूहिक खुदखुशी के अलावा एक व्यक्ति की ओर से आत्महत्या का कदम उठाने के आंकड़ों में भी लगातार वृद्धि हो रही है. कोरोना काल में खुदखुशी के आंकड़े बढ़े हैं. इसके पीछे लोगों को व्यापार में घाटा, कर्ज बढ़ना, आर्थिक तंगी का दौर आना, गृह कलह जैसे कई कारण हैं.

देश में हर 7 मिनट में हो रही एक आत्महत्या

काउंसलिंग सेंटर और संवाद की दरकार

मौजूदा निर्मम आर्थिक और पूंजावादी व्यवस्था में संयुक्त परिवारों का टूटना और एकल परिवारों की बढ़ती तादाद आत्महत्या की बड़ी वजह है. सरकार को इसके लिए जहां ज्यादा से ज्यादा काउंसलिंग सेंटर खोलने की जरूरत है वहीं समाज के हर व्यक्ति का भी यह दायित्व है कि वह अपने समाज और आसपास के लोगों से संवाद रखे. उनके दुख को सुने समझे. हो सके तो सहयोग करे. आप के द्वारा किया गया संवाद किसी की जान बचा सकता है.

Last Updated : Feb 27, 2021, 7:43 PM IST

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