जयपुर.महिला हिंसा के मामलों में विपक्ष के निशाने पर आ रही प्रदेश की गहलोत सरकार के बचाव में अब खुद डीजीपी एमएल लाठर उतर आए हैं. डीजीपी एमएल लाठर ने सालाना दर्ज होने वाले महिला हिंसा आंकड़ों में से 37 फीसदी मामलों को झूठा करार दिया है. लाठर ने कहा कि साल 2019 के महिला हिंसा के मामलों में प्रदेश में 12 हजार से अधिक मामले जांच के बाद झूठे पाए गए हैं.
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प्रदेश में लगातार अपराध के आंकड़े बढ़ रहे हैं. बढ़ते अपराधों को लेकर डीजीपी एमएल लाठर ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी है कि राज्य में हर अपराध पंजीबद्ध होने से अपराध का आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन हकीकत यह है कि देश में दर्ज अपराधों में करीब 37 प्रतिशत झूठे मामले राजस्थान में दर्ज होते हैं.
प्रदेश में महिला अपराधों की बढ़ती संख्या को लेकर सरकार और प्रशासन पर सवाल खड़े होते हैं. राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में हर अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश देने के बाद अपराधों का आंकड़ा बढ़ रहा है. डीजीपी लाठर ने साफ किया है कि झूठे मुकदमे दर्ज होने से भी अपराध के आंकड़े बढ़ रहे हैं. पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में डीजीपी मोहनलाल लाठर ने बताया कि कोरोना संकट के चलते लगाए गए लॉकडाउन से बीते साल अपराध के आंकड़ों में कमी दर्ज की गई है, लेकिन हकीकत यह है कि साल 2019 की तुलना में प्रदेश में अपराध कम हुए हैं. महिला संबंधी अपराधों के अधिकांश प्रकरणों में कोई निकट परिचित ही शामिल रहा है.
राजस्थान में अपराध में हुई वृद्धि
अपराध के मामलों को लेकर डीजीपी एमएल लाठर ने बताया कि राजस्थान में कुछ कैटेगरी के अपराधों में वृद्धि हुई है. अपराध पंजीकरण और अपराधों में वृद्धि दोनों अलग-अलग बातें हैं. नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो आंकड़े निकालता है. राज्य सरकार की ओर से जून 2021 में एक नीति निर्धारित की गई थी जिसमें कोई भी नागरिक अपनी शिकायत लेकर जाता है, तो उसने पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि उसकी रिपोर्ट पंजीकृत करें.
थाने में पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है तो वह पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचकर अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है. जिसका नतीजा यह है कि 2018 के मुकाबले 2019 में राजस्थान में 31 फीसदी पंजीकृत अपराधों का ग्राफ बढ़ा था. साल 2013 से 2019 तक पूरे इंडिया में 23 प्रतिशत अपराध बढ़ा है. राजस्थान में अपराध 16 फीसदी के करीब बढ़ा है. 2020 की तुलना में 2021 में भी अपराध बढ़ा है, लेकिन साल 2019 के मुकाबले 2021 में अपराध कम है. 2019 के मुकाबले 2021 में 10 फीसदी अपराध कम हुआ है, लेकिन 2020 के मुकाबले 2021 में 14 फीसदी अपराध में वृद्धि हुई है.
लॉकडाउन के दौरान कम थे अपराध
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन होने से सभी तरह की गतिविधियां बन्द थी, जिससे अपराध में भी कमी आई. वहीं, दूसरी लहर के दौरान हुए लॉकडाउन में पूरी तरह से गतिविधियां बंद नहीं थी इसी वजह से अपराध कम नहीं हुआ. पुलिस के सामने अपराध को नियंत्रण करने के साथ ही कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा. 2 साल में ऐसा कोई भी अपराध नहीं है जो अनसुलझा हो. पुलिस की ओर से लगभग सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है.
एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने से मिली है सहूलियत
डीजीपी ने बताया कि एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने की व्यवस्था होने से आम नागरिकों को काफी सहूलियत मिली है. पहले 34 फीसदी लोग कोर्ट के माध्यम से मुकदमा दर्ज करवाते थे. जो कि 2021 में घटकर 15 फीसदी रह गया है. अगर थाने में पुलिस अधिकारी रिपोर्ट दर्ज करने से मना करते हैं तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाती है.
इस व्यवस्था को लागू करने के बाद 218 परिवादी ऐसे सामने आए हैं, जिन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अपना मुकदमा दर्ज करवाया है. इनमें से 18 पीड़ितों का वास्तव में थाने पर जाना पाया गया था. इन 18 पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई है और 166-ए के मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं. विजिलेंस के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर डिकॉय ऑपरेशन किए जाते हैं. जिसकी वजह से भी अपराध पंजीकरण में भी वृद्धि हुई है.
महिला अपराधों के लिए बनाई गई स्पेशल यूनिट