जयपुर. सावन के आखिरी सोमवार और रक्षाबंधन के त्योहार का इस बार दुर्लभ संयोग बना है. इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार आए हैं. सावन का पहला सोमवार जहां 6 जुलाई को तो वहीं अंतिम सोमवार शुभ संयोग के साथ आया है.
बता दें कि जो भक्त पिछले 4 सोमवार करने से चूक गए हैं, वो आखिरी सोमवार को भोलेनाथ को रिझाने में लगे हैं. आज के दिन शिव शंकर की आराधना का फल दोगुना मिलेगा. भोलेनाथ के आखिरी सोमवारी को छोटी काशी जयपुर के छोटे शिवालयों में बम-बम भोले के जयकारों के साथ भक्त बाबा भोले का अभिषेक कर रहे हैं. सावन के अंतिम दिन बेलपत्र, दूध और जलाभिषेक से भगवान भोलेनाथ की पूजा हो रही है.
शिवालयों में हो रही पूजा अर्चना यह भी पढ़ें.SPECIAL : राजस्थान का ऐसा गांव जहां अनोखा रक्षाबंधन का पर्व, लड़कियां पेड़ को राखी बांधकर मनाती हैं त्योहार
इस बार कोरोना महामारी के कारण पूरा सावन महीना कोरोना की भेंट चढ़ गया, लेकिन फिर भी भोले-भंडारी की आस्था कम नहीं हुई. शिव-शंकर की आराधना में लीन भक्त सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव के पंचमुख के अवतार की कथा भी पढ़कर अन्य भक्तों को सुना रहे हैं. 5वें सोमवार को भोलेनाथ के 5 मुख का प्रतीक माना गया है. साथ ही सावन के अंतिम सोमवार को छोटे मंदिरों में भक्त रुद्राभिषेक, रुद्राष्टक और लिंगाष्टक का पाठ करने में जुटे हुए हैं.
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भोलेनाथ का अभिषेक करने के बाद दान-पुण्य का भी महत्व है. इसके अलावा अंतिम सोमवार के दिन पितृ-तर्पण और ऋषि पूजन करने से जीवन में संकटकाल खत्म हो जाते हैं. साथ ही मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवारी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती धरती का भम्रण करने के साथ अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हुए आशीर्वाद देते हैं.