चिंतपूर्णी: कहते हैं कि धार्मिक आस्थाओं के आगे सब बातें और हर धारणाएं बौनी साबित हो जाती हैं. जब मां के भक्तों को माता रानी के प्रति अपार श्रद्धा देखने को मिलती है. इसी को चरितार्थ करने राजस्थान से 17 श्रद्धालुओं का दल शनिवार सुबह दस बजे चिंतपूर्णी पहुंचा. लगभग 4 माह से ये दल 800 किलोमीटर के धार्मिक सफर पर निकला हुआ है. सफर भी कार, बस या किसी आरामदायक वाहन में नहीं, बल्कि दंडवत होते हुए किया जा रहा है.
राजस्थान से घुटनों के बल चिंतपूर्णी मंदिर पहुंचे श्रद्धालु चिंतपूर्णी और ज्वालाजी में टेकेगा माथा
ये दल राजस्थान से निकला हुआ है और चिंतपुर्णी के साथ- साथ कागंड़ा स्थित ज्वालाजी मंदिर में माथा टेकेगा. राजस्थान के टोडा भीम के गांव हैदलपुर से संबंधित उक्त 17 सदस्यीय दल में लगभग सभी श्रद्धालु बुजुर्ग हैं और 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन जज्बा ऐसा है कि नौजवान भी इनका मुकाबला न कर पाएं.
जत्थे में महिलाएं भी शमिल
खास बात ये है कि इस दल में 4 महिलाएं भी शामिल हैं, जोकि कंधे से कंधा मिलाकर पूरे दम-खम के साथ जत्थे के साथ चली हुई हैं. इन सभी भक्तों ने 24 अगस्त को ये यात्रा शुरू की थी. एक दिन में 17लोगों का ये जत्था लगभग आठ किलोमीटर का सफर तय करता है.
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जत्थे के एक सदस्य हरि सिंह ने बताया कि वो हिमाचल के मंदिरों की धार्मिक यात्रा पर निकले हैं और वो पहली बार दंडवत यात्रा कर हिमाचल आए हैं. उन्होंने बताया कि रात के समय में सभी श्रदालु किसी सरायं व मंदिर में डेरा जमा लेते हैं और अगले दिन सुबह फिर अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं.
राम स्वरूप ने बताया कि इन लोगों ने 24 अगस्त को अपनी दंडवत यात्रा शुरू की थी. श्रदालु का जत्था राजस्थान के हैदलपुर स्थित अपने गावं से 24 अगस्त से धार्मिक यात्रा पर निकला था और शनिवार को ये श्रदालु चिंतपूर्णी मंंदिर पहुंचे थे.