जयपुर: कई लोगों का मानना है कि यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है. क्या राजस्थान में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है? क्या प्रदेश में जन्म दर में वृद्धि हो रही है? क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की जरूरत है? इन तमाम मसलों पर ईटीवी भारत ने पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्टेट सीनियर प्रोग्रामर मैनेजर दिव्या संथानम से बातचीत की.
दिव्या संथानम के मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी बाध्यता स्थाई समाधान नहीं है, बल्कि इसके लिए विकास ही एकमात्र समाधान है. जब तक बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर काम नहीं किया जाएगा तब तक जनसंख्या नियंत्रण की बात करना बेमानी है.
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दिव्या संथानम ने कहा कि यह हम हमेशा से देखते हैं कि कोई भी फोर्स किसी भी मुद्दे को डील करने का कोई तरीका नहीं है. जबरदस्ती किसी कानून को लाद कर उसे सफल नहीं बनाया जा सकता है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लेकर आना एकाकी अप्रोच को दर्शाता है. किसी भी एकाकी अप्रोच से किसी मुद्दे की नींव तक नहीं जा सकते. राजस्थान या यूपी ऐसा राज्य नहीं है, जिसमें इस मुद्दे पर बात हो रही है.
इंडिया में 12 स्टेट्स हैं, जहां पर टू चाइल्ड पॉलिसी लागू की गई है. लेकिन उनमें से चार राज्यों ने इस पॉलिसी को विड्रॉ कर लिया है. अगर हम हमारे नियर बाई कंट्री के हिसाब से भी देखें तो चाइना 1997 में ही सिंगल चाइल्ड पॉलिसी लेकर आया था, लेकिन उसके दुष्परिणामों की वजह से 2015 में कानून को वापस विड्रॉ करना पड़ा.
हम अगर चाइना और भारत का सोशल स्टेटस देखें तो हमारी कई चीजें एक जैसी है. वहां के अगर हम सेक्स रेश्यों के हिसाब से भी देखें तो 120 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं. इसलिए यह कह देना की सिंगल चाइल्ड पॉलिसी लागू करके जनसंख्या नियंत्रण किया जा सकता है तो यह सही बात नहीं है. भारत में केरला जैसे स्टेट ने किसी भी तरह की वन चाइल्ड पॉलिसी ए टू चाइल्ड पॉलिसी नहीं है. लेकिन उन्होंने विकास के मुद्दों पर बालिका शिक्षा के मुद्दों पर इस तरह से काम किया कि वहां पर जनसंख्या नियंत्रण पर काबू पाया गया है.
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दिव्या कहती हैं कि राजस्थान या यूपी कोई पहला राज्य नही है. कई और भी राज्य हैं लेकिन राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में हम बात करते हैं तो 2011 की जनगणना में प्रदेश में 6 करोड़ 86 लाख की कुल आबादी थी. जबकि 2021 में हालांकि जनसंख्या के आंकड़े नहीं हैं, लेकिन एक अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 7 करोड़ 86 लाख की आबादी पर हम पहुंच गए हैं. प्रजनन दर की बात करते हैं तो एनएफएचआई 2015-16 की रिपोर्ट के हिसाब से 2.4% जन्म दर है , जबकि जो लक्ष्य लिया हुआ है वो 2.1% है, जिसके हम बहुत करीब हैं.