जयपुर.दिवाली के 15 दिन बाद आने वाले पर्व देव दिवाली इस बार 30 नवंबर को मनाई जाएगी. कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन अलसुबह स्नान कर दीपदान करने की एक विशेष परंपरा है. वहीं, इस दिन तीर्थ स्थलों पर सरोवर में स्नान करने का भी महत्व है. ऐसे में मंदिरों के साथ ही नदियों के घाट भी दीपदान से रोशन होंगे.
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ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही स्नान, दान और पुण्य के लिए विशेष महत्व माने जाने वाले कार्तिक मास का 30 नवंबर को समापन होगा. इस मौके पर गलताजी सहित अन्य पवित्र स्थलों पर मास के आखिरी दिन श्रद्धालु अलसुबह स्नान करेंगे. साथ ही छोटी काशी के मंदिरों में भी देव दिवाली पर घी के दीपक जलाए जाएंगे. कहा जाता है कि भगवान श्री हरि के स्वर्ग लोक में पधारने की खुशी में देवता दीपक जला कर उनका अभिनंदन करेंगे.
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साथ ही मान्यता ये भी है कि इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीप जलाकर जश्न मनाया. इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन ग्रह गोचर में सूर्य, मंगल और बुध की त्रिग्रही युति रहेगी. वहीं, तुला राशि में सूर्य, मंगल और बुध की युति रहेगी. ये युति मंगल दायित्व योग्य बुधादित्य योग कहलाता है. इस युति के चलते लोगों के धर्म कार्य के लिए निर्विघ्न होंगे.