जयपुर.कृषि बिलों को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार पर कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाए जाने को असंवैधानिक बताया. साथ ही इसे देश के फेडरल सिस्टम पर एक हमला करार दिया. राठौड़ ने कहा कि समाचार पत्रों से सुना कि अचानक सदन आहूत किया गया. यह सदन उस समय पर हो रहा है जब कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. राजस्थान में दो हजार से ज्यादा लोग इस संक्रमण से मर चुके हैं और दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं.
दूसरी ओर कानून व्यवस्था भी प्रदेश में खराब हो चुकी है. कृषि मंत्री जिस बेरोजगारी की चिंता कर रहे हैं एक सर्वे में राजस्थान में बेरोजगारी 15.3 प्रतिशत है. जिन 3 बिलों का संशोधन राजस्थान की सरकार लेकर आ रही है वह असंवैधानिक है और केवल सदन का समय बर्बाद किया जा रहा है. 24 सितंबर को राष्ट्रपति ने इन बिलों पर हस्ताक्षर कर दिया और यह लागू हो चुका है. यह कोई अनिवार्य बिल नहीं है. किसान आज भी मंडी में जाकर मंडी टैक्स लेकर अपनी उपज को बेच सकता है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे यह अधिकार दिया है कि वह बिना किसी टैक्स के अपनी फसल बाहर बेच सकता है.
यह बिल यह प्रावधान करता है कि फसल बिकने के 3 दिन में किसान को उसका पैसा देना होगा. विवाद के निपटारे के लिए भी मैकेनिज्म तय किया गया है. एपीएमसी एक्ट जो लागू है वह लागू रहेगा. यह एक नवाचार है जो पहली बार किसान की आय दोगुनी करने के लिए लेकर आए हैं. यूपीए सरकार के समय भी इस बात पर चर्चा हुई थी, लेकिन उस समय सरकार स्टेबल नहीं थी. अब यह काम दोबारा प्रधानमंत्री मोदी ने करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो कांग्रेस का घोषणा पत्र उस पर कांग्रेस यू टर्न ले रही हैं. किसान बाजार में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है. यह भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में थी, जहां किसान जब चाहे जहां चाहे अपनी फसल बेच सकेगा और अब इसको लेकर जब केंद्र सरकार बिल ले आई है तो आपके पेट में दर्द होने लगा है. 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर यूपीए सरकार ने ही किया था.