जयपुर.वैश्विक महामारीकोविड-19 के बीच मनोरोग से जुड़े कई मामले अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं. ऐसे में इस तरीके सबसे अधिक मामले महिलाओं में देखे जा रहे हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो वर्क फ्रॉम होम और घर पर अन्य काम के बीच सामंजस्य नहीं होने के चलते महिलाओं में डिप्रेशन के कई मामले सामने आए हैं. इसके अलावा बच्चों, अन्य परिजनों और जॉब सिक्योरिटी के मामले के चलते भी इस तरह के केस देखे जा रहे हैं.
महिलाओं में अवसाद की वजह लॉकडाउन पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं में डिप्रेशन के मामले ज्यादा
ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश जैन ने बताया कि आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में डिप्रेशन के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं. इसका मुख्य कारण है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं जल्द डिप्रेशन में आती है. हाल ही में जब लॉकडाउन की स्थिति प्रदेश में बनी तो महिलाओं में डिप्रेशन के मामले देखने को मिले. खासकर इनमें ज्यादातर कामकाजी महिलाएं शामिल थी.
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बच्चों की पढ़ाई से जुड़े अधिक मामले
लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के चलते एक नई संस्कृति का उदय हुआ. स्कूलों की ओर से बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस की शुरुआत की गई. ऐसे में बच्चों को घर पर ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के साथ-साथ घर के अन्य काम और ऑफिस से जुड़े कामों के बोझ के चलते कामकाजी महिलाओं में डिप्रेशन के मामले दिखे. मनोचिकित्सक यह भी कहते हैं कि लॉकडाउन के चलते एकाएक परिस्थितियों में बदलाव देखने को मिला. जिसके अनुरूप, खासकर महिलाएं इसमें ढल नहीं पाई.
बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस भी बनी अवसाद की वजह जॉब सिक्योरिटी से जुड़े मामले
कोरोना महामारी के बीच जॉब के खतरे भी उत्पन्न होने लगे हैं. ऐसे में यदि किसी घर में पति जॉब करता है और इस दौरान उसकी नौकरी चली गई तो इसका डिप्रेशन भी महिलाओं में देखने को मिला. इसके साथ ही अगर बाहर काम करने वाली महिलाओं की नौकरी पर खतरा मंडराया तब भी महिलाएं डिप्रेशन में चली गई. सवाई मानसिंह अस्पताल की चिकित्सक डॉ. कविता यादव भी मानती हैं कि इस बीच जॉब सिक्योरिटी डिप्रेशन का एक प्रमुख कारण रही है. इसके चलते महिलाओं में डिप्रेशन के 35 प्रतिशत मामले बढ़ने की संभावनाएं भी जताई गई है.
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फोन पर परामर्श
ईएसआई अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि मौजूदा समय में कोरोना के खतरे को देखते हुए डिप्रेशन से जुड़े हुए मरीज अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में फोन पर परामर्श से ही उनका इलाज किया जा रहा है और हाल ही में महिलाओं द्वारा परामर्श लेने के मामले सबसे अधिक देखने को मिले हैं.