जयपुर.राजस्थान विधानसभा में सोमवार को कृषि और पशुपालन चिकित्सा विभाग से जुड़ी अनुदान की मांग पारित हुई. इससे पहले अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के दौरान सदन के कई सदस्यों ने प्रदेश में ऊंट की संख्या में हो रही कमी पर चिंता जाहिर की और इसके कई कारण भी गिनाए. वहीं, जवाब में खुद कृषि और पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने भी माना यदि यही हालात यही रहे तो प्रदेश से आने वाले दिनों में ऊंट गायब हो जाएंगे.
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कृषि पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के अनुसार ऊंट के विषय में एक समिति भी बनाई है, जिसमें जल्द ही बैठक कर कुछ अहम निर्णय लिए जाएंगे. कटारिया ने सदन में मौजूद विधायकों से भी ऊंट को बचाने के लिए उनके सुझाव आमंत्रित किए और यह भी कहा कि इसके लिए 23 करोड़ की लागत से एक विशेष कार्य योजना भी प्रदेश सरकार ने बनाई है.
पटवारियों की हड़ताल, लेकिन चल रहा गिरदावरी का काम
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है, जिसकी पीड़ा सदन में कई विधायकों ने भी व्यक्त की. निश्चित तौर पर पटवारियों की हड़ताल चल रही है, लेकिन विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस काम में लगा दिया है ताकि किसानों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो और गिरदावरी का काम भी समय पर हो.
किसान तीन प्रकार के होते हैं...
अनुदान मांगों के जवाब पर बोलते हुए मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में तीन प्रकार के किसान हैं. इनमें पहला हलधारी किसान है जो अब ट्रैक्टर से बुवाई करते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 60 फीसदी है. दूसरे प्रकार के किसान छत्ताधारी होते हैं, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीन तो होती है लेकिन वह खुद उस पर खेती नहीं करते बल्कि खेत में जाकर मजदूरों से काम कर आते हैं और उसका पूरा हिसाब किताब खुद रखते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 8 से 10 फीसदी है.
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वहीं, तीसरे प्रकार के किसान होते हैं बंगलाधारी किसान, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीनें होती है लेकिन उस पर खुद खेती नहीं करते बल्कि अन्य किसान और मजदूर उसमें खेती करते हैं और बांग्लाधारी किसान अपने मुनीम के जरिए उसका हिसाब किताब और देखरेख करवाता है. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है.