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आसाराम पर लिखी गयी किताब से प्रतिबंध हटा

आसाराम पर लिखी किताब का नाम ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन’ है. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा-19 का उल्लंघन किया है.

Delhi High Court,  Asaram Bapu
आसाराम पर लिखी गयी किताब से प्रतिबंध हटा

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Published : Sep 23, 2020, 11:10 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है. जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा कि इस किताब की कुछ प्रतियां बिक चुकी हैं और उसमें इस बात का स्पष्टीकरण दिया गया है कि वो ट्रायल कोर्ट के फैसले पर आधारित है और उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की जा चुकी है.

गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन से रोक हटी

किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं

पिछले 9 सितंबर को दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने बताया था कि किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं. इस पर कोर्ट ने कहा था कि उन किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है.

आसाराम के साथ सह-आरोपी और किताब की रिलीज के खिलाफ ट्रायल कोर्ट जाने वाली संचिता गुप्ता की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा था कि कोर्ट को किताब की पांच हजार प्रतियों के छपने और अभियुक्तों के निष्पक्ष ट्रायल के बीच संतुलन कायम करना चाहिए. पिछले 8 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्री-मैच्योर था.

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‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन’

आसाराम पर लिखी किताब का नाम ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन’ है. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा-19 का उल्लंघन किया है.

बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुनाने का आरोप

याचिका में कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट ने बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुना दिया. ट्रायल कोर्ट का फैसला किताब के प्रकाशन के पहले ही सेंसरशिप लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया था कि किताब में आसाराम बापू से संबंधित सभी तथ्यों को रखा गया है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू पर लिखी किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दिया था.

सह-आरोपी संचिता गुप्ता पटियाला हाउस कोर्ट गई थी

ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपी संचिता गुप्ता ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है, लेकिन यह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है. याचिका में कहा गया था कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है. संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर की है जो लंबित है.

राजस्थान के आईपीएस अधिकारी ने लिखी है किताब

इस किताब को अजय पाल लांबा ने लिखा है. अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करने वाली टीम की अगवाई की थी. इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं. बता दें कि अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था. आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले में सह-आरोपी संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी.

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