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सांसदों से मिले किसान महापंचायत का प्रतिनिधिमंडल, रखी अपनी मांग - जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा

केंद्र सरकार ने चना खरीद के लिए 25 फीसदी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का नियम बना हुआ है, लेकिन इस बार फिर सरकार ने चना खरीद की सीमा 25 फीसदी से कम रखी है. जिसके कारण किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पडे़गा. जिसको लेकर रविवार को किसान महापंचायत के प्रतिनिधिमंडलों ने सांसदों के आवास पर उनसे मुलाकात की.

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सांसदों से मिलें किसान महापंचायत का प्रतिनिधिमंडल

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Published : Aug 16, 2020, 7:18 PM IST

जयपुर.केंद्र सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना खरीद की सीमा पूरी करवाने के लिए राजस्थान के किसान महापंचायत के प्रतिनिधिमंडलों ने सांसदों के आवास पर उनसे मुलाकात की. सभी सांसदों ने किसान महापंचायत के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि वे चना खरीद की सीमा बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र भी भेजेंगे. जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, राजसमंद सांसद दीया कुमारी, भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहडिया, अलवर सांसद बाबा बालकनाथ, झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह ने चना खरीद की सीमा बढ़ाने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री को पत्र भेजने का आश्वासन दिया.

केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र भेजने का दिया आश्वासन

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अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी, टोंक-सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसान महापंचायत को पत्र भेजने का आश्वासन दिया है. दूसरी ओर नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लांबा और दूदू विधायक बाबूलाल नागर को चना खरीद की सीमा पूरी करने के लिए विधानसभा में संकल्प प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया. पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र चौधरी ने कोविड -19 की बात कहते हुए किसानों से मिलने से मना करते हुए संकल्प पत्र को रख लिया.

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से 25 फीसदी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का नियम बना हुआ है, लेकिन इस बार फिर सरकार ने चना खरीद की सीमा 25 फीसदी से कम रखी है. इसके कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और यदि केंद्र सरकार 25 फीसदी चने की उपज नहीं करती है तो किसानों आर्थिक नुकसान होगा.

सरकारों की कथनी और करनी में अंतर: रामलाल जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि प्रतिदिन संघर्ष के नए तरीकों के साथ बारिश में भी चना तुलाई चालू करवाने के लिए किसान महापंचायत की टीम ने विधानसभा गेट पर विधायकों को संकल्प पत्र सौंपा. केंद्र सरकार की ओर से भूल सुधार नहीं करने से कोरोना काल में किसानों को चना घाटे में बेचना पड़ेगा.

केंद्र सरकार ने 20 उपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 'मूल्य समर्थन योजना' घोषित की हुई है. जिसके अंतर्गत चना जैसी दलहन और तिलहनों की 9 उपजों के लिए किसानों की सुरक्षार्थ छतरी (अंब्रेला) के रूप में 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' के नाम से खरीद के लिए मार्गदर्शिका तैयार की है, उसी के अनुसार इन उपजों की खरीद होती है.

जाट ने कहा कि चना जैसी इन उपजों में से कुल उत्पादन की 75% उपज को तो खरीद की परिधि से बाहर कर दिया. 13 अगस्त को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से जयपुर में ज्ञापन सौंपकर निवेदन करने का प्रयास किया. उनकी ओर से समय प्रदान करने के उपरांत भी वो बिना किसानों से मिले निकल गए. उन्होंने भाजपा कार्यालय जयपुर में पत्रकारों की ओर से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में चने की खरीद सरकारी नियमों के अनुसार होने का बखान किया.

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रामपाल जाट ने कहा कि एक त्रुटि के चलते चना खरीद की सीमा 25 फीसदी नहीं की गई है. एक छोटी सी त्रुटि/भूल के सुधार में 1 घंटे का समय पर्याप्त है. किसानों और राजस्थान सरकार की ओर से 25 दिन से निरंतर आग्रह करने के उपरांत भी केंद्र सरकार इस भूल को सुधारने को तैयार नहीं है. इतना ही नहीं राजस्थान के उन्हीं के दल के सांसदों की ओर से भी किए गए अनुरोध को केंद्र सरकार अनसुना कर रही है.

जाट ने कहा कि भूल सुधार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चने की खरीद होने से 1 क्विंटल के 4 हजार 875 रुपए किसानों को प्राप्त होने की संभावना बनती है. भूल सुधार नहीं किए जाने से 1 क्विंटल पर किसानों को न्यूनतम 1 हजार रुपए कम प्राप्त होंगे. किसानों को 55 करोड़ 95 लाख रुपए का घाटा सहन करना पड़ेगा.

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