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विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा, इन उद्देश्यों पर करेंगे काम - घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी

विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है. कार्यकारिणी में मुख्य संरक्षक, संरक्षक, उपाध्यक्ष के साथ ही 11 सचिवों की घोषणा की गई है. साथ ही 14 संयुक्त सचिवों को भी शामिल किया गया हैं.

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घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया ने किया कार्यकारिणी का गठन

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Published : Jun 25, 2020, 5:18 PM IST

जयपुर.विमुक्त घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गोपाल केसावत ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद विमुक्त घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जातियों के लिए किए जा रहे कार्यों को गति मिलेगी.

गोपाल केसावत ने जो कार्यकारिणी की घोषणा की है. उसके अनुसार पी बलराम नाईक को मुख्य संरक्षक, हरिभाऊ राठौड़ को संरक्षक, रतन कोडकर, नारायण सिंह गरासिया, राजेंद्र नायक को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसी तरह से सुनील तांत्या, जेपी पवार मलके, सोहन नायक, भीम सिंह महेशवाल, आर सागर कच्छावा को महासचिव बनाया गया है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ये होंगे सदस्य

कार्यकारिणी में 11 सचिवों की भी घोषणा की गई है. जिसमें देवी सिंह चौहान, अनवर खान बहिया, रामकिशोर योगी, पारस बंजारा, नरेंद्र गजुआ, गाजी खान बरना, बक्श खान गुनसार, कानसिंह ओड, कुलदीप सिंह मालावत, दरियाव नाथ योगी और रणधीर सिंह तदी, गोपाल केसावत राजेश राठौड़, डॉ बलवान, राजेंद्र सोनावत, गुलाबो सेपरा शामिल हैं. इसके अलावा 14 संयुक्त सचिवों की भी घोषणा की गई है.

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कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोपाल केसावत ने कहा कि आजादी के 72 साल बाद भी विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू जातियों को अभी तक सामाजिक न्याय नहीं मिल पाया है.

घुमंतू महासभा ऑफ इंडिया ने किया कार्यकारिणी का गठन

गोपाल केसावत का कहना है कि पूरे देश में संगठन को खड़ा किया जाएगा. इसके अलावा राज्य कार्यकारिणी, जिला और ब्लॉक स्तरीय कार्यकारिणी का भी गठन किया जाएगा. मानसून सत्र में बालकृष्ण रेनके और दादा इदाते आयोग रिपोर्ट लागू कराना कार्यकारिणी का मुख्य उद्देश्य रहेगा.

बता दें कि जातिवार जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में विमुक्त और घुमंतू जनजातियों की आबादी 15 करोड़ है. जबकि वर्तमान समय में इनकी वास्तविक आबादी 20 करोड़ से अधिक है. यह विशाल समुदाय भारत की आजादी के बाद भी आज तक सामाजिक न्याय से पूरी तरह वंचित और विकास की धारा से कोसों दूर है.

विमुक्त घुमंतू जनजातियां

ब्रिटिश हुकूमत ने जिन कट्टर सशस्त्र विद्रोही समुदायों को क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के तहत जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था और भारत सरकार ने आजादी के 5 वर्ष बाद 31 अगस्त 1952 को ब्रिटिश हुकूमत के काले कानून क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट से मुक्त कर दिया था. अब वे विमुक्त जनजातियां कहलाती हैं.

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अर्द्ध घुमंतू जनजातियां

वे जनजातियां जो कुछ समय के लिए किसी स्थान पर रहते हैं और अपना काम होने पर जगह छोड़कर चले जाते हैं. कानून क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत कुछ कानून ही इन पर लागू होते हैं.

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