जयपुर. 'गोल्डन बुक ऑफ द अर्थ' में जयपुर के समाजसेवी डॉ. दौलतराम माल्या की संघर्षपूर्ण जीवनी को भी शामिल किया गया है. विश्व के 10 देशों के लेखकों द्वारा लिखित गई इस किताब में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनूठी आत्मकथा को भी नए तरीके से पेश किया गया है. साथ ही 20 देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की जीवन गाथा को स्थान दिया गया है. इस किताब में डॉ. माल्या की जीवनी ने भी जगह बनाई है.
वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप, अभिनेता सोनू सूद, मंत्री जयशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, मनीष सिसोदिया की प्रेरक जीवनी के सुनहरे पन्नों में डॉक्टर दौलतराम माल्या की बायोग्राफी में शामिल होना जयपुर के लिए गर्व की बात है. ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, घाना, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों के कुल 101 महान व्यक्तियों की जीवनी पर प्रकाशित और प्रसारित होने वाली 'गोल्डन बुक ऑफ द अर्थ' में डॉ. माल्या को जगह मिलना अपने आप में बड़ी बात है.
'गोल्डन बुक ऑफ द अर्थ' का वर्चुअल विमोचन
इंटरनेशनल बुक पब्लिशिंग हाउस प्रूडेंट पेन्स और स्वर्ण भारत परिवार के संयुक्त प्रयास से द मोस्ट इंस्पायरिंग पीपल ऑफ द अर्थ 2020 अवॉर्ड समिट कार्यक्रम में विश्व के 101 महान व्यक्तियों की प्रेरक आत्मकथाओं का संग्रह 'गोल्डन बुक ऑफ द अर्थ' का वैश्विक स्तर पर वर्चुअल विमोचन हुआ. जिसमें डॉ. दौलतराम माल्या के नाम की भी घोषणा हुई. जिसके बाद ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में डॉ. माल्या ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वो अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि इन विभूतियों के बीच उनकी आत्मकथा छपी है.
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हालांकि डॉ. दौलतराम माल्या की बायोग्राफी 'गोल्डन बुक ऑफ द अर्थ' में छपना कोई मामूली बात नहीं थी. इसके पीछे सालों के संघर्ष भरा जीवन और मेहनत से सफलता हासिल करने का एक अभिभूत सफर रहा. इसको लेकर डॉ. माल्या ने बताया कि उनका जीवन बहुत संघर्षपूर्ण और बचपन से ही गरीबी में लालन-पालन हुआ है.