जयपुर. कोरोना संक्रमण देश और दुनिया में फैला हुआ है. हालांकि राजधानी जयपुर और प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार कम होने से आमजन ने राहत की सांस ली है. वहीं राज्य सरकार की ओर से बीते 10 मई से लगाए लॉक डाउन के बाद से ही रोडवेज की बसों के पहिये थमे हुए है. जिससे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को नुकसान हो रहा है.
जयपुर लॉक डाउन में बस बंद राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति तो पहले से ही खराब थी. वहीं अब कोरोना के कारण विभाग को रोजाना 3.75 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं कोविड-19 पिछले वित्तीय वर्ष 2020 और 21 में 1100 करोड़ रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ा था. हैरानी की बात यह है कि सरकार का खजाना पहले से ही खाली है. जिसके कारण रोडवेज कर्मचारियों को अप्रैल महीने की भी सैलरी अभी तक नहीं मिल पाई है. इसको लेकर लगातार रोडवेज के कर्मचारियों की ओर से सैलरी देने की मांग भी की जा रही है.
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राजस्थान रोडवेज के बेड़े में 3870 बस
राजस्थान रोडवेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी रोडवेज के बेड़े में फिलहाल कुल 3870 बसे हैं. इनमें राजस्थान रोडवेज के अनुबंध पर भी बसों को ले रखा है. जयपुर की बात की जाए तो यहां पर करीब 400 बसें है. इन बसों को लॉकडाउन लगने के बाद से विद्याधर नगर जयपुर वैशाली नगर और डीलक्स डिपो में खड़ी कर रखा है. लॉक डाउन लगने के बाद से रोजाना का कलेक्शन भी बंद हो गया है.
रोजाना 12 लाख किलोमीटर चल रही थी रोडवेज बसें
बता दें कि लॉक डाउन से पहले तक राजस्थान रोडवेज की बसें रोजाना 12 लाख किलोमीटर दौड़ रही थी. प्रदेश के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में रोडवेज की बसों का संचालन हो रहा था. हालांकि मई के शुरुआती सप्ताह से ही कई राज्यों में बसों को भेजना बंद कर दिया गया था और 10 मई से प्रदेश में शख्स लॉकडाउन भी शुरू हो गया था. जिसके चलते विभाग को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. ऐसे में अब रोडवेज कर्मचारियों के वेतन का भी सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है.
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अगर संचालन शुरू हुआ तो बसों में बैठेंगे 50% यात्री
लॉक डाउन के बाद दोबारा से अन लॉक होने के बाद माना जा रहा है, कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के तहत बसों में निर्धारित क्षमता के साथ ही यात्रियों को बैठाया जाएगा. फिलहाल 8 जून के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा. हालांकि यह भी तय नहीं है. अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालना कराते हुए बसों में 50% यात्रियों की क्षमता को रखा गया तो रोडवेज की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन और माली होती जाएगी.