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EXCLUSIVE: लॉकडाउन में बदला सायबर ठगों ने पैटर्न...ऑक्सीजन, रेमडेसिविर दिलाने वाले झांसों से बचें, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की सलाह - Advice from cyber security expert

कोरोना की दूसरी लहर के चलते राजस्थान सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन में साइबर ठग लोगों को अलग-अलग तरीके अपनाकर ठगी का शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग न केवल मदद का झांसा देकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं बल्कि गोपनीय जानकारी निकाल कर ब्लैकमेल भी कर रहे हैं.

Patterns of cyber crime in the Corona period
सायबर ठगों से सावधान

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Published : May 26, 2021, 6:40 PM IST

जयपुर. समय के साथ सायबर ठगों ने अपराध करने का पैटर्न भी बदल लिया है. कोरोना काल में जिन लोगों को जरूरी दवाओं, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर या दूसरी दवाओं की जरूरत होती है वे लोग इन ठगों के रडार पर हैं. यहां तक कि वैक्सीन के स्लॉट तक पर ठगों की निगाह बनी हुई है.

कोरोना काल में सायबर ठगों से सावधान (भाग 1)

राजस्थान में बीते एक साल में साइबर ठगों ने कोरोना काल में तकरीबन 40 हजार लोगों को ठगी का शिकार बनाया है. उनसे 40 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ठगी गई है. गत वर्ष साइबर ठगों ने अलग तरीके अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाया. वर्ष 2021 में अब अलग तरीके अपनाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.

कोरोना की हर लहर में साइबर ठग बदल रहे पैटर्न

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि साइबर ठग कोरोना की हर लहर में अपनी ठगी करने का पैटर्न बदल रहे हैं.

  • कोरोना की पहली लहर में हाइड्रो क्लोरोक्वाइन, अन्य दवाइयों की ऑनलाइन डिलीवरी का झांसा दिया
  • बैंक लोन की किस्त माफ करने का झांसा दिया
  • कोरोना की दूसरी लहर में एडवांस तरीकों से कर रहे ठगी
  • ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसीविर इंजेक्शन दिलाने के नाम पर ठगी
  • वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने के नाम पर ठगी
  • वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट ऑथेंटिकेट करने के नाम पर ठगी
    कोरोना काल में सायबर ठगों से सावधान (भाग 2)

पढ़ें- जागते रहो : वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करने से पहले पढ़ें ये खबर...सायबर ठग बना रहे लोगों को शिकार, इस तरीके से करें बचाव

वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर अपलोड करने से पहले ये पढ़ें

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग ऐसे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं जो कोरोना वैक्सीनेशन करवाने के बाद उसका सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं.

  • साइबर ठग खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय से फोन करने की बात कहते हैं
  • वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट ऑथेंटिकेट करने का झांसा देते हैं
  • ठग लोगों से उनके आधार कार्ड की तमाम जानकारी लेते हैं
  • आधार कार्ड से लिंक बैंक खाते की जानकारी निकाली जाती है
  • यूजर के मोबाइल पर आए ओटीपी को पूछ कर खाते से मनी ट्रांजेक्शन करते हैं
    कोरोना काल में सायबर ठगी

इसी प्रकार से ऑक्सीजन सिलेंडर की होम डिलीवरी करने का झांसा देकर लोगों से उनके आधार कार्ड व बैंक की जानकारी प्राप्त कर खाते से रुपयों का ट्रांजैक्शन किया जा रहा है. ठग लोगों से क्रेडिट कार्ड की तमाम जानकारी लेने के बाद उसे किसी अन्य खाते से लिंक कर देते हैं. उस क्रेडिट कार्ड का वन क्लिक पेमेंट एक्टिवेट कर ठग पेटीएम या अन्य ऑनलाइन ट्रांजैक्शन ऐप के जरिए बिना ओटीपी के पांच-पांच हजार रुपए के ट्रांजैक्शन कर खाते से बड़ा अमाउंट निकाल लेते हैं.

रेमडेसीविर इंजेक्शन की सप्लाई के नाम पर बनी जाली वेबसाइट

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रेमडेसीविर इंजेक्शन की ऑनलाइन डिलीवरी के नाम पर ठगों द्वारा अनेक फर्जी वेबसाइट बनाई गई हैं. जहां पर लोगों को इंजेक्शन उपलब्ध कराने के नाम पर 5% बुकिंग अमाउंट के रूप में मांगे जाते हैं और शेष 95% राशि इंजेक्शन डिलीवरी होने के बाद देने के लिए कहा जाता है. ऐसे में लोगों से 5000 रुपए के इंजेक्शन की बुकिंग के नाम पर 500 रुपए ठगे जाते हैं. इस प्रकार से हजारों लाखों की संख्या में लोगों से 500-500 का छोटा अमाउंट ठग कर साइबर ठग एक बड़ी राशि अपने खातों में जमा कर लेते हैं.

वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने के नाम पर ठगी

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने के नाम पर भी ठग अपना शिकार बना रहे हैं.

  • ठग इंस्टाग्राम, विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अनेक ग्रुप बनाते हैं.
  • लोगों को वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं
  • लोगों से 150 से 200 रुपए की डिमांड की जाती है
  • लोगों को 200 से 300 रुपए जमा कराने के बाद वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने का दावा करते हैं
  • इस तरह स्लॉट बुक करना गैर कानूनी है
  • ठग वेबसाइट को हैक या बोट एक्टिवेट कर स्लॉट बुक करते हैं

सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने वाले लोग सावधान

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ऐसे लोग जो सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा एक्टिव हैं उन पर साइबर ठग विशेष नजर रखते हैं. ऐसे लोग जो अपनी निजी जानकारी और महंगे और कीमती सामानों से संबंधित तस्वीरों को सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपलोड करते हैं.

  • ऐसे लोगों के फाइनेंशियल स्टेटक की जानकारी ठग जुटाते हैं
  • लोगों को इमेज मॉर्फिंग का शिकार बनाया जाता है
  • लोगों की प्रोफाइल से उनकी फैमिली फोटो को डाउनलोड किया जाता है
  • चेहरों को न्यूड फोटो पर एडिट कर लगा दिया जाता है
  • फोटो को वायरल करने की धमकी देकर राशि की डिमांड की जाती है

पढ़ें-जागते रहो : स्कीम का झांसा देकर थंब इंप्रेशन ले रहे साइबर ठग...फर्जी खाते खोल कर ठगी, बचाव में करें ये उपाय

इसमें ठग पीड़ित से 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक के अमाउंट की डिमांड करते हैं. एक बार पीड़ित द्वारा राशि जमा कराने के बाद उससे दुगनी राशि की डिमांड ठग करते है. ठग बिटकॉइन के रूप में यह राशि पीड़ित से मांगते हैं. जिसके चलते पुलिस या कोई सुरक्षा ऐजेंसी पीड़ित को पैसे वापस नहीं दिला सकती.

ऐसे बचें सायबर ठगों से

सतर्क रहकर ठगी का शिकार होने से बचें

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ठगी का शिकार होने से बचने के लिए और ठगों के झांसे में ना आने के लिए अनेक तरह की सावधानी लोगों को बरतनी चाहिए और साथ ही सतर्क रहना चाहिए.

  • वैक्सीनेशन का स्लॉट बुक करते वक्त यूजर कुछ बातों का ध्यान रखें.
  • गवर्नमेंट की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ही स्लॉट बुक करें.
  • cowin.gov.in या cowin.gov.nic डोमेन की वेबसाइट से ही स्लॉट बुक करें
  • मिलते-जुलते नामों की वेबसाइट पर स्लॉट के लिए लॉगिन न करें
  • वैक्सीन सर्टिफिकेट को ऑथेंटिकेट करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय कभी ओटीपी नहीं मांगता
  • फोन कर किसी को भी ओटीपी देने से बचें
  • ओटीपी मांगने वाले की शिकायत साइबर थाने या संबंधित थाने में करें.
  • आईवीआर के जरिए कॉल कर ओटीपी मांगने पर भी ओटीपी न दें

साथ ही अपनी निजी जानकारियों को भी गोपनीय रखें. सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्राइवेसी सेटिंग को ऑन रखें. फेसबुक पर प्रोफाइल गार्ड को ऑन रखें. इसके साथ ही ऐसी कोई भी एप्लीकेशन फोन में डाउनलोड न करें जो वैक्सीनेशन का स्लॉट दिलाने का दावा करती हो. इस तरह की एप्लीकेशन के जरिए ठग यूजर के मोबाइल में मालवेयर डालकर उसका तमाम डाटा कॉपी करते हैं. उसके मोबाइल का पूरा एक्सेस भी ठगों के हाथ में चला जाता है. इसके साथ ही तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट पर टू स्टेप वेरीफिकेशन को ऑन रखें.

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