जयपुर. साइबर हैकर्स ने इन दिनों लोगों को ठगने और ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका इजाद किया है. अब वह मासूम बच्चों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हुए उनके परिजनों को ब्लैकमेल करने का काम कर रहे हैं. मासूम बच्चों को विभिन्न गेम्स और एप्लीकेशन के माध्यम से साइबर हैकर्स पहले अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें अलग-अलग टास्क देकर अपना काम करवाते हैं (Cyber hackers are targeting children for cheating). यदि कोई बच्चा ऐसा करने से मना करता है तो उसे उसके पेरेंट्स को जान से मारने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जाता है. फिर उस बच्चे से वह तमाम काम करवाए जाते हैं. जो एक साइबर हैकर ठगी की वारदात को अंजाम देने के दौरान करता है. इस नए ट्रेंड के सामने आने के बाद पुलिस और पेरेंट्स दोनों ही काफी परेशान हैं. टेक्नोलॉजी के दौर में आज हर बच्चे को मोबाइल ऑपरेट करना और नेट का एक्सेस करना आता है, जिसका गलत फायदा साइबर हैकर्स उठा रहे हैं.
सिस्टम को क्रेक नहीं कर पाने के चलते मॉलवेयर डाउनलोड करवा कर रहे डिवाइस हैक: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि पूर्व में एंड्राइड और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के डिवाइस को साइबर हैकर्स बड़े आराम से क्रेक कर लिया करते थे. लेकिन जब से एंड्राइड और अन्य सिस्टम को सिक्योरिटी के दृष्टिकोण से अपग्रेड किया गया है, तब से साइबर हैकर्स उस सिस्टम को सीधे क्रेक नहीं कर पाते हैं. यूजर के सिस्टम को क्रेक करने के लिए साइबर हैकर्स यूजर की डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर हैकिंग और ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. हालांकि लोग अब इस तरह के अपराधों के प्रति काफी सजग हो गए हैं. जिसके चलते अब लोगों को सीधे अपना शिकार बना पाना साइबर हैकर्स के लिए मुमकिन नहीं हो रहा है. ऐसे में हैकर्स ने अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर उनके जरिए वारदात को अंजाम देना शुरू किया है.
बच्चों को हैकर्स अपने जाल में फंसाकर मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं: बच्चों को अपने जाल में फंसा कर सबसे पहले साइबर हैकर्स उनके पेरेंट्स के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर उन तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं. उसके बाद मोबाइल और अन्य डिवाइस पर से डाटा को डिलीट करना और बैंकिंग और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी हासिल कर फाइनेंसियल फ्रॉड और ब्लैकमेल करने की वारदात को अंजाम दिया जाता है.
इस तरह से बनाया जा रहा बच्चों को शिकार: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी के दौर में हर बच्चे के पास मोबाइल फोन पहुंच गया है. बच्चा कुछ देर तक मोबाइल पर ऑनलाइन स्टडी करने के बाद माइंड को रिफ्रेश करने के लिए विभिन्न तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलता है. ऑनलाइन गेमिंग के दौरान ही साइबर ठग 18 साल से कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं. गेम्स के जरिए बच्चों से संपर्क करने के बाद उनसे कम्युनिकेट करते हैं और उनको खेल में जितवा कर अगले लेवल तक पहुंचाने में और गेम्स में मिलने वाले कॉइंस को जिताने में मदद करते हैं. इस तरह से बच्चों का विश्वास जीतने के बाद उन्हें गेम में लॉक हुए फीचर्स को अनलॉक करके देने का झांसा देकर विभिन्न तरह के टास्क कर देते हैं. बच्चे का मोबाइल नंबर लेकर उससे बातचीत करना शुरू कर देते हैं और फिर उसे धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा कर उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देकर, बच्चे की एडिटेड न्यूड फोटो को वायरल करने की धमकी देकर अपने चंगुल में लेते हैं.