जयपुर.वैश्विक महामारी कोरोना काल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन काफी तेजी के साथ बढ़ा है. ट्रांजेक्शन बढ़ने के साथ ही साइबर ठगों ने भी लोगों को बड़ी तादाद में अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कहते हैं कि "सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग करके साइबर ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग लोगों को मैसेज भेजकर खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताते हैं और पॉलिसी रिन्यू करने का झांसा देकर 5 से 10% अतिरिक्त लाभ देने का लालच देते हैं. साइबर ठगों के लालच में आकर पीड़ित व्यक्ति बिना सोचे समझे और बिना किसी पड़ताल के पॉलिसी रिन्यू कराने के लिए या फिर नई पॉलिसी लेने के लिए तैयार हो जाता है.
साइबर ठग पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल पर मैसेज के जरिए एक लिंक भेजते हैं. जैसे ही आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं तो उस लिंक के माध्यम से साइबर ठग अपके मोबाइल से अपने कंप्यूटर में एक मॉलवेयर भेज देते हैं. मॉलवेयर एक तरह का वायरस होता है जिसे साइबर ठग ऑपरेट करते हैं और फिर उसके बाद व्यक्ति के मोबाइल या कंप्यूटर का पूरा एक्सेस साइबर ठगों के पास पहुंच जाता है. इसके बाद आसानी से साइबर ठग पीड़ित के मोबाइल में नेट बैंकिंग के जरिए या फिर अन्य ई-वालेट के माध्यम से लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन कर लेते हैं और पीड़ित व्यक्ति को इसकी भनक तक नहीं लगती.
फेक वेबसाइटों से बचें...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कहते हैं कि फेक वेबसाइट बनाकर भी लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. विभिन्न नामी कंपनियों की फर्जी या फिर उनके नाम से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर साइबर ठग लोगों को पॉलिसी रिन्यू करने का झांसा देते हैं. पीड़ित व्यक्ति जब साइबर ठगों की फेक वेबसाइट पर जाकर पॉलिसी रिन्यू करने के लिए रिन्यूअल पेज पर जाता है तो उससे डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी मांगी जाती है.
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साइबर ठगों द्वारा बनाई गई फेक वेबसाइट पर पीड़ित व्यक्ति अपने कार्ड का नंबर, उसकी एक्सपायरी डेट और सीवीवी को जैसे ही अपडेट करता है वैसे ही बैंक खाते से लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन कर ठग उसका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.
भारत के अलावा ऐसे अनेक देश हैं जहां क्रेडिट या डेबिट कार्ड के नंबर, एक्सपायरी डेट और सीवीवी के माध्यम से ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया जा सकता है. जिसके चलते ठगों द्वारा बनाई गई फेक वेबसाइट में जब पीड़ित व्यक्ति द्वारा तमाम जानकारी भरी जाती है तो उसके कार्ड से ठगों द्वारा जो ट्रांजेक्शन किया जाता है वह विदेश में ही किया जाता है. भारत में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और सीवीवी के साथ ही पिन कोड भी आवश्यक होता है. इसलिए ठग पीड़ित व्यक्ति के खाते से ठगी गई राशि का ट्रांजेक्शन भारत में ना करके दूसरे देशों में बैठकर करते हैं.
क्या कहते हैं साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कहते हैं कि "आम व्यक्ति को रोजाना फॉरेन ट्रांजेक्शन करने की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे में साइबर ठगों द्वारा की जा रही ठगी से बचने के लिए यूजर को अपने मोबाइल बैंकिंग एप के जरिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड की सेटिंग में जाकर कार्ड के इंटरनेशनल यूजेस को बंद कर देना चाहिए. ऐसा करने के बाद यूजर का कार्ड केवल डोमेस्टिक ट्रांजेक्शन्स के ही काम में लिया जा सकेगा और साइबर ठग लाख कोशिश करने के बावजूद भी कार्ड से इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन नहीं कर सकेगा".
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