जयपुर. देशभर में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. इससे आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. राजधानी जयपुर में भी संक्रमण के दौर में काम-धंधे बंद होने से मजदूरों के रोजगार तक छिन गए हैं. ऐसे में गरीब मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना भी मुश्किल हो रहा है. राजधानी जयपुर में कई जगहों पर दूसरे प्रदेशों और जिलों से आए मजदूर मुश्किल में पड़ गए हैं.
कोरोना काल में मजदूरों के सामने संकट कई फैक्ट्री और कारखानों से काम बंद होने से मजदूरों को निकाल दिया गया है. ऐसे में मजदूरों के पास न खाने के लिए भोजन बचा है और न रहने के लिए छत रह गई है. फुटपाथ पर ही मजदूर जैसे तैसे अपने दिन बिता रहे हैं. ऐसी मुश्किल की घड़ी में सामाजिक संस्थाएं मजदूरों की मदद के लिए आगे आ रही हैं. राजधानी जयपुर में आर्थिक समानता संघर्ष समिति की ओर से मजदूरों को भोजन वितरित किया जा रहा है. जयपुर के सेंट्रल पार्क, सहकार मार्ग, 22 गोदाम, सी स्कीम समेत अन्य जगह पर संस्था के लोग मजदूरों को दो वक्त का भोजन बांट कर उनके परिवार की मदद कर रहे हैं.
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मजदूरों ने बताया कि काम धंधे बंद होने की वजह से खाने के लाले हैं ही, रहने का ठिकाना भी नहीं है और घर जाने के लिए पैसे भी नहीं बचे है. फुटपाथ पर रहते हैं तो पुलिस वाले लाठियां भांजकर भगा देते हैं. मजदूरों ने बताया कि फैक्ट्रियां बंद होने से काम से भी निकाल दिया गया है. हम सड़कों पर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं. खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं है.
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आर्थिक समानता संघर्ष समिति के ओम मीना और सज्जन सिंह राठौड़ ने बताया कि मजदूरों को फैक्ट्रियों से निकाल दिया गया है. कई जगह पर फैक्ट्रियों में ताले लग गए हैं. ऐसे में मजदूरों के पास अपने गांव जाने तक के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में संकट के दौर में आर्थिक समानता संघर्ष समिति की ओर से मजदूरों को भोजन वितरित किया जा रहा है. लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा कामगारों और मजदूरों पर पड़ रहा है. खाने पीने की दुकानें भी बंद हैं. ऐसे में खाना और पानी भी नहीं मिल पा रहा है. कोरोना का भयावह रूप देखते हुए इस बार मजदूरों की मदद के लिए ज्यादा लोग भी आगे नहीं आ रहे हैं, तो अधिक समस्या हो रही है. कोरना संकट के दौर में बड़ी संख्या में भामाशाहों को आगे आकर मजदूरों की मदद करनी चाहिए, ताकि ऐसे जरूरतमंद लोगों को कम से कम दो वक्त की रोटी मिल सके.
पिछले बार कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉकडाउन होने से भी मजदूरों को काफी परेशानी हुई थी लेकिन उस वक्त गरीब और मजदूरों के लिए कई संस्थाएं और जनप्रतिनिधि भी आगे आए और भोजन राशन वितरित किया. मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था, लेकिन इस बार कोरोना की दूसरी लहर के खतरनाक रुख अख्तियार करने के कारण संक्रमण के डर से ज्यादा लोग गरीब और मजदूरों मदद के लिए नहीं आ रहे हैं.