जयपुर.प्रदेश की राजधानी जयपुर और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में अपराध पर नियंत्रण करने व कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए गहलोत सरकार ने जनवरी 2011 में कमिश्नरेट प्रणाली लागू की थी. हालांकि कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा (No impact of commissionerate system)है. दोनों ही शहरों में अपराध का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अपराध के कुछ मामलों में जरूर कमी देखने को मिली, लेकिन संगीन अपराधों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने कानून व्यवस्था पर अनेक सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. राजधानी जयपुर जहां सूबे की सरकार बैठती है, जब वहां ही पुलिस अपराध पर लगाम लगाने में नाकामयाब सिद्ध हो रही है, तो प्रदेश के अन्य जिलों में अपराध का क्या ग्राफ होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.
जयपुर में यह है अपराध की स्थिति:जयपुर पुलिस के आला अधिकारी लगातार यही बात कहते हैं कि राजधानी में अपराध नियंत्रण में है और अपराध व अपराधियों के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. वहीं दूसरी ओर जयपुर पुलिस के खुद के आंकड़े उनकी पोल खोलते हुए नजर आ रहे (Crime graph in Jaipur) हैं. यदि बात वर्ष 2021 की बात करें तो जयपुर में जून माह तक हत्या के 52, हत्या के प्रयास के 41, बलात्कार के 234, अपहरण के 278, बलवा के 11, डकैती के 4, लूट के 67, नकबजनी के 367 और चोरी के 3502 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं वर्ष 2022 में जून माह तक राजधानी जयपुर में हत्या के 68, हत्या के प्रयास के 57, बलात्कार के 317, अपहरण के 392, बलवा के 21, डकैती के 2, लूट के 85, नकबजनी के 437 और चोरी के 4296 मामले दर्ज किए गए हैं. केवल डकैती के प्रकरणों को छोड़कर बाकी के तमाम संगीन अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.