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SPECIAL : कोरोना वेव में टूट रही सांसें...मुक्तिधामों पर अंतिम संस्कार का दबाव, जानिये हालात

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Published : May 17, 2021, 4:44 PM IST

जयपुर शहर में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार चिन्हित मुक्तिधामों आदर्श नगर और चांदपोल श्मशान घाट में किया जा रहा है. श्मशान घाटों पर लकड़ी और दूसरी व्यवस्थाओं को लेकर नगर निगम लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.

Cremation municipal corporation of jaipur
श्मशानों के हालात का जायजा

जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर में मौतों का आंकड़ा बेलगाम है. मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम प्रशासन ने शहर के आदर्श नगर और चांदपोल श्मशान घाट को चिन्हित किया है.

श्मशानों के हालात का जायजा

जिन लोगों की रिपोर्ट आने से पहले मौत हो रही है उनका अंतिम संस्कार दूसरे श्मशान घाटों पर भी किया जा रहा है. श्मशान घाटों पर लकड़ी और दूसरी व्यवस्थाओं को लेकर नगर निगम की मॉनिटरिंग भी बढ़ गई है. घाटों के केयरटेकर सभी सुविधाएं होने का दावा कर रहे हैं.

राजधानी के आदर्श नगर श्मशान घाट पर गैस शवदाह गृह और चांदपोल मोक्ष धाम में विद्युत शवदाह गृह के माध्यम से लावारिस और कोरोना पॉजिटिव मृतकों का निशुल्क अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जयपुर शहर में करीब 219 श्मशान घाट और कब्रिस्तान हैं. 100 श्मशान और कब्रिस्तान हेरिटेज नगर निगम में और 119 ग्रेटर नगर निगम में हैं.

श्मशान घाटों पर लकड़ी की कमी नहीं

कोरोना संकट के चलते जयपुर शहर में आदर्श नगर, चांदपोल और लाल कोठी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जा रहा है. मुक्तिधामों और कब्रिस्तानों पर शवों के अंतिम संस्कार का दबाव बढ़ा है. लावारिस और कोविड पॉजिटिव मृतकों का अंतिम संस्कार विद्युत और गैस शवदाह गृह में किया जा रहा है. परिजनों की सहमति से भी विद्युत शवदाह गृह से अंतिम संस्कार किया जा रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने आदर्श नगर, चांदपोल और लाल कोठी शमशान की व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

शवदाह गृहों पर बढ़ रहा दबाव

कहां कितने शव पहुंच रहे हैं

आदर्श नगर शमशान घाट पर रोजाना करीब 15 से 18 शवों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं. 1 महीने में यहां करीब 500 से भी अधिक शव पहुंच रहे हैं. चांदपोल श्मशान घाट में रोजाना करीब 14 से 15 अंतिम संस्कार हो रहे हैं. 1 महीने में यहां करीब 450 से अधिक शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. लालकोठी श्मशान घाट में रोजाना 6 से 8 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. 1 महीने में यहां करीब 180 से अधिक शवों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं.

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मौत के आंकड़ों को देखते हुए नगर निगम प्रशासन की ओर से श्मशान घाट में भी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की गई हैं. श्मशान घाट में बैठने के लिए छाया, पानी, पर्याप्त लकड़ी समेत अन्य सुविधाएं सुव्यवस्थित की जा रही हैं.

इलैक्ट्रॉनिक शवदाह गृहों का इस्तेमाल कम

नगर निगम के हेड क्वार्टर एक्सईएन किशन लाल ने बताया कि जयपुर हेरिटेज नगर निगम के आदर्श नगर और चांदपोल श्मशान घाट में इलेक्ट्रिक मशीन से अंतिम संस्कार करने की परमिशन परिजन कम देते हैं. ज्यादातर लोग लकड़ी पर ही अंतिम संस्कार करवाते हैं. इसलिए आदर्श नगर शमशान में ज्यादा शव पहुंचते हैं. मई महीने के शुरुआत में मृतकों का आंकड़ा बढ़ गया था. शुरुआत में करीब 40 शव पहुंचने लगे थे, अब आंकड़ों में थोड़ी कमी हुई है. श्मशान में लकड़ी की कोई भी किल्लत नहीं है. कोविड पॉजिटिव मृतकों का निशुल्क अंतिम संस्कार आदर्श नगर और चांदपोल श्मशान में किया जा रहा है.

श्मशान घाटों में लकड़ियों की हालत

एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 250 किलो लकड़ी की जरूरत होती है, जहां एक श्मशान में रोजाना करीब 15 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार हो रहा तो ऐसे में लकड़ी की ज्यादा मांग को देखते हुए लकड़िया सप्लाई करने वालों ने दामों में भी बढ़ोतरी कर दी है. हालांकि श्मशान के केयरटेकर्स का कहना है कि उन्होंने लकड़ी के दाम नहीं बढ़ाए हैं.

जयपुर शहर के मुक्तिधामों का जायजा

लाल कोठी शमशान के केयरटेकर विनोद सैनी ने बताया कि अधिकतर बबूल की लकड़ी से अंतिम संस्कार किया जा रहा है. आगे से लकड़ी के दाम बढ़कर आ रहे हैं. ऐसे में अंतिम संस्कार भी महंगा हो जाएगा. अभी लकड़ी का 700 रुपए प्रति क्विंटल भाव चल रहा है. लकड़ी की खपत बढ़ने से दाम 100 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ सकते हैं.

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चांदपोल शमशान के केयरटेकर विजय शर्मा ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार मरीजों की संख्या बढ़ी है. कोविड पॉजिटिव शव के कई परिजन हाथ नहीं लगाते. ऐसे में श्मशान के कर्मचारी ही उनका अंतिम संस्कार करवाते हैं. श्मशान में लकड़ियों की कोई किल्लत नहीं है. आम, पीपल और बबूल समेत अन्य प्रकार की लकड़ियां श्मशान में उपलब्ध है. चांदपोल श्मशान में करीब रोजाना 15 शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं.

आदर्शनगर शमशान केयर टेकर रुपेश शर्मा ने बताया कि रोजाना करीब 15 शव अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. जिनमें से तीन-चार कोविड पॉजिटिव होते हैं. शमशान के कर्मचारी अंतिम संस्कार में अपना पूरा सहयोग कर रहे हैं. श्मशान में लकड़ियों की किसी प्रकार की कोई किल्लत नहीं है. अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है और फॉर्म भरा जा रहा है.

श्मशानों में अस्थि कलश कर रहे विसर्जन का इंतजार

प्रदेश में लॉक डाउन के चलते प्राइवेट और सरकारी परिवहन सेवाएं बंद कर दी गई हैं. ऐसे में लोग अपनों की अस्थियों को लेकर हरिद्वार नहीं पहुंच पा रहे हैं. अस्थि विसर्जन में भी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जयपुर के शमशान ग्रह में अस्थि कलश और अस्थियों से भरे हुए बैग अपनों का इंतजार कर रहे हैं. जयपुर के आदर्श नगर शमशान घाट में मौजूद लॉकर अस्थियों से फुल हो चुका है. आदर्श नगर में करीब 1000 से भी अधिक अस्थि कलश रखे हुए हैं, जिनको परिजन लेने के लिए भी नहीं पहुंच रहे. क्योंकि अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जाने के साधन बंद हैं. राजस्थान रोडवेज की मोक्ष कलश निशुल्क बस सेवा भी बंद पड़ी हुई है.

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