जयपुर. गायों की मौत की वजह से अमूमन चर्चा में रहने वाली हिंगोनिया गौशाला का कायाकल्प हो रहा है. यहां जल्द प्रदेश की पहली काऊ सफारी (Cow Safari in Rajasthan) शुरू होगी, जिसमें विभिन्न नस्लों की गायों के अलावा हर आयु वर्ग के लिए एडवेंचर और मनोरंजन की व्यवस्था की जा रही है. यही नहीं यहां पहुंचने वाले लोग गाय के दूध से बनी छाछ और घी से बने राजस्थानी पकवानों का लुत्फ भी ले सकेंगे.
प्रदेश में टाइगर सफारी और लेपर्ड सफारी के बाद अब पर्यटकों को रोमांचित करने के लिए काऊ सफारी (Cow Safari in Rajasthan) बनाई जा रही है. करीब 4 साल पहले हिंगोनिया गौशाला क्षेत्र में ये काऊ सफारी निर्मित की जा रही थी, लेकिन मेयर की कुर्सी पर बदलते चेहरों के बीच में ये पूरा प्रोजेक्ट खटाई में जाता हुआ नजर आया. हालांकि, अब इसका दोबारा रिनोवेशन शुरू किया गया है. ताकि काऊ टूरिज्म के बहाने लोगों को गायों के बारे में जानकारी दे सके.
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इस संबंध में गौशाला प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि पहले यहां देशभर में पाई जाने वाली सभी प्रकार की गायों की जानकारी देते हुए बैलगाड़ी के माध्यम से पूरी हिंगोनिया गौशाला की विजिट कराने का प्लान तैयार किया गया था. लेकिन अब बदलते वक्त के साथ इस प्रोजेक्ट को भी नए रूप में लाया जा रहा है. इसमें गायों के बारे में जानकारी देने वाले पुराने उद्देश्य के साथ-साथ हर आयु वर्ग के लिए मनोरंजन और एडवेंचर को भी जोड़ा जा रहा है.
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अब तक लोगों के जेहन में गौशाला का मतलब गायों की सेवा स्थल की ही छवि बनी हुई है, लेकिन अब हिंगोनिया गौशाला में आकर न सिर्फ गायों की सेवा कर सकते हैं बल्कि उसके साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के लिए विभिन्न खेलों की व्यवस्था की गई है. यहां बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट जैसे खेल लोग खेल सकेंगे. इसके अलावा जलक्रीड़ा करने की व्यवस्था के तहत पुल भी विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा कुछ आर्मी एडवेंचर ट्रैक भी विकसित किए (Army Adventure track in Rajasthan Cow Safari) जा रहे हैं. यहां आने वाले लोगों के लिए राजस्थान के प्रमुख व्यंजन जैसे दाल-बाटी-चूरमा, चूल्हे की रोटी, कैर सांगरी, गट्टे की सब्जी आदि को गाय के दूध से बने शुद्ध घी-छाछ में बनाकर परोसा जाएगा.
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गौशाला प्रबंधक प्रेमानंद ने बताया कि काऊ सफारी (Cow Safari in Rajasthan) नाम रखने के पीछे यही उद्देश्य था कि भारतीय गोवंश की विभिन्न नस्लों को लोग जान सके. इस नजरिए से फिलहाल राजस्थान क्षेत्र में पाए जाने वाली थारपारकर, कांकरेज, सांचौरी, मेवाती, गिर, नागोरी, राठी नस्ल की गायें यहां मिलेंगी. जिनकी यहां पहुंचने वाले लोग सेवा भी कर सकेंगे. इस काऊ सफारी पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और अगले 2 महीने में यानी मानसून तक इस सफारी को पूरा कर लिया जाएगा. फिर निगम के पदाधिकारियों से इसका उद्घाटन भी करा लिया जाएगा.
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बहरहाल, जयपुर से करीब 30 किमी दूर हिंगोनिया गौशाला में बन रही काऊ सफारी राजस्थान में टूरिज्म का अब नया चेहरा (Cow Safari in Rajasthan) होगी. यहां आने वाले पर्यटक अब कुछ समय गायों के साथ गुजार पाएंगे और गायों की नस्लों के बारे में जानने के अलावा यहां मनोरंजन भी कर सकेंगे.