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जयपुर में भी बनने लगे गाय के गोबर के उत्पाद, एसीबी डीजी और कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष ने किया शुभारंभ

जयपुर में गाय के गोबर से गोमय रक्षासूत्र, बड़कूले, गोबर की ईंट और गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा जैसे अनेक उत्पाद बनने प्रारंभ हो गए हैं. जिसका शुभारंभ वैशाली नगर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो महानिदेशक बीएल सोनी और कर्मचारी चयन आयोग अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा अध्यक्ष ने किया.

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जयपुर में भी बनने लगे गाय के गोबर के उत्पाद

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Published : Mar 2, 2021, 10:45 PM IST

जयपुर. शहर में भी गाय के गोबर से गोमय रक्षासूत्र, बड़कूले, गोबर की ईंट और गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा जैसे अनेक उत्पाद बनने प्रारंभ हो गए हैं. वैशाली नगर में इसका शुभारंभ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो महानिदेशक बीएल सोनी और कर्मचारी चयन आयोग अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा अध्यक्ष ने किया. इस अवसर पर अतिथियों को गोबर की यंत्र की माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया.

बता दें कि गोउत्पाद गाय बनाए करोड़पति मशीन से बनाए गए हैं. जिसका आविष्कार कृषि उपज मंडी नोहर के सचिव पंडित विष्णु दत्त शर्मा ने किया. इस अवसर पर सभी को गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा आकर्षित कर रही थी. मुख्य अतिथि एसीबी एडीजी बीएल सोनी ने कहा कि गाय के उत्पाद जीवन में अपनाना ही गाय की रक्षा और संवर्धन का सर्वोत्तम साधन है. साथ ही कहा कि सभी को गाय की सेवा करनी चाहिए. हम भी ग्रामीण क्षेत्र से हैं और अपने गांव जब भी जाते हैं, गौशाला में बैठकर घंटों गाय की सेवा करते हैं.

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इस अवसर पर कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि वे प्रत्यक्ष रूप से श्री गौशाला रेनवाल से जुड़े हुए हैं. साथ ही वे निरंतर गौसेवा का कार्य कर रहे हैं. जिसके तहत उन्होंने कहा कि सभी को गौसेवा का कार्य करना चाहिए. इस अवसर पर सेवानिवृत्त डीआईजी गिरधारी लाल शर्मा, सुविख्यात ज्योतिर्विद पंडित सुरेश दाधीच और पंडित दुर्गेश शर्मा ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया.

सभी के मन में प्रश्न उठना स्वभाविक है कि अतिथियों को गोमय की माला ही क्यों पहनाई गई. जबकि सभी जगह सम्मान में फूलों, रत्नों, मनको, तुलसी, रुद्राक्ष आदि वनस्पतियों और स्वर्ण, रजत आदि धातुओं की माला पहनाई जाती है. इस विषय में गोमय से माला बनाकर उसे श्रीयंत्र और कनकधारा स्तोत्र से अभिमंत्रित कर तैयार करने की नवीन परंपरा का शुभारंभ करने वाले पंडित विष्णु दत्त शर्मा बताते हैं कि, गोमय की माला से अधिक मूल्यवान कोई माला नहीं होती है.

इसीलिए जब पहली बार गौमाता के पवित्र गोबर से निर्मित सुंदर श्रीयंत्र की माला अतिथियों को भेंट की गई और उतना ही ह्रदय से अतिथियों ने उस गोमय माला को अपने गले में स्थान दिया. वहीं, मणि-माणिक, हीरा-मोती और सोना-चांदी, यह सब तो लक्ष्मी के अंश हैं. प

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