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अब विदेशों में भी बजेगा का भारतीय जैविक खेती का डंका, पहली बार कुवैत निर्यात होगा देसी गाय का गोबर - Rajasthan hindi news

देसी गाय का गोबर अब विदेश निर्यात होगा. भारत ने 192 मीट्रिक टन देसी गाय का गोबर कुवैत निर्यात (cow dung exported from india to kuwait) किया है ताकि वहां जैविक खेती की जा सके. कस्टम विभाग की निगरानी में टोंक रोड स्थित श्रीपिंजरापोल गौशाला के सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में कंटेनर में गोबर की पैकिंग का कार्य चल रहा है.

cow dung exported from india to kuwait
विदेशों में भी भारतीय जैविक खेती का डंका

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Published : Jun 11, 2022, 7:03 PM IST

Updated : Jun 11, 2022, 10:21 PM IST

जयपुर.अपने देश में हो रही जैविक खेती का लोहा अब विदेश में भी माना जाने लगा है. विदेश में भी अब देसी गाय के गोबर की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ रही है. पहली बार देसी गाय का गोबर देश से बाहर निर्यात होने जा रहा है. कुवैत ने भारत से 192 मीट्रिक टन देसी गाय का गोबर आयात (cow dung exported from india to kuwait)किया है. ताकि वहां जैविक खेती की जा सके. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब भारत से देशी गाय का गोबर कुवैत में जाएगा. कुवैत इसके लिए आर्डर भी दे चुका है. यह संभव हुआ है भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के देश में चलाए जा रहे जैविक खेती मिशन की बदौलत. संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि भारत से 192 मीट्रिक टन देशी गाय का गोबर भेजा जाएगा.

कस्टम विभाग की निगरानी में रहा पैकिंगःकस्टम विभाग की निगरानी में टोंक रोड स्थित श्रीपिंजरापोल गौशाला के सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में कंटेनर में गोबर की पैकिंग का कार्य चल रहा है. इसकी पहली खेप के रूप में 15 जून को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से कंटेनर रवाना होंगे. गाय के गोबर के ये कंटेनर भेजने का काम 20 जून तक चलेगा. यहां से यह कंटेनर ट्रेन के जरिए गुजरात के मुन्दरा बंदरगाह पर जाएंगे और वहां से जहाज से कुवैत के लिए रवाना होंगे.

विदेशों में भी भारतीय जैविक खेती का डंका

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पशु उत्पादों के निर्यात का भारतीय कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है. पशु उत्पादों के निर्यात में मांस, कुक्कुट उत्पाद, पशु खालें, दूध और दूध उत्पाद, शहद आदि शामिल हैं. वर्ष 2020-21 में भारत में पशु उत्पाद का निर्यात 27,155.56 करोड़ रुपए यानी 3,67024 मिलियन अमरीकी डॉलर था. अब देशी गाय के गोमूत्र व गोबर से निर्मित उत्पादों का भी निर्यात होने लगा है. इनमें जैविक खाद की मांग निरंतर बढ़ रही है. कई देशों ने देशी गाय के गोबर पर रिसर्च के बाद पाया है कि इससे न केवल फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. बल्कि इससे पैदा हुए उत्पादों के मानव जीवन में उपयोग करने से गंभीर बीमारियों से भी निजात मिलती है. यही कारण है कि कई देश जैविक खाद के साथ गाय के गोबर का भी भारत से आयात करने लगे हैं.

देसी गाय के गोबर का निर्यात

गाय का गोबर बेहद उपयोगी
कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों ने गहन रिसर्च के बाद पाया है कि फसलों के लिए गाय का गोबर बेहद उपयोगी है. गाय के गोबर के इस्तेमाल से न केवल फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हुई. बल्कि इन जैविक उत्पादों के उपयोग से स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण असर देखने को मिला है. उन्होंने पाया कि उनकी फसलों में पेस्टीसाइड का असर भारतीय देसी गाय के गोबर से ही दूर किया जा सकता है. रिसर्च में सामने आया कि देसी गाय के गोबर का पाउडर के रूप में खजूर की फसल में उपयोग करने से फल के आकार में वृद्धि के साथ साथ उत्पादन में भी आशानुरूप बढ़ोतरी देखी गई.

भारत में मवेशियों की संख्या करीब 30 करोड़ः सनराइज ऑर्गेनिक पार्क के डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि भारत में मवेशियों की संख्या करीब तीस करोड़ है. इनसे रोज करीब 30 लाख टन गोबर मिलता है. इसमें से तीस फीसदी को उपला बनाकर जला दिया जाता है. जबकि ब्रिटेन में गोबर गैस से हर साल सोलह लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, तो चीन में डेढ़ करोड़ परिवारों को घरेलू ऊर्जा के लिए गोबर गैस की आपूर्ति की जाती है. राष्ट्रीय कृषि आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि गोबर को चूल्हे में नहीं जलाया जाना चाहिए.

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लाखों टन गोबर होते हैं निर्यात
राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य के 10 फीसदी गोबर गैस प्लांट भी नहीं लगाए गए हैं. ऊर्जा विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारे देश में गोबर के जरिये 2000 मेगावाट ऊर्जा पैदा की जा सकती है. विदेशों ने गाय के गोबर के महत्व को भलीभांति समझा है. इसका परिणाम यह है कि कई देश गाय के गोबर से निर्मित जैविक खाद का बहुतायत में उपयोग करने लगे हैं. उनके पास पर्याप्त मात्रा में गाय का गोबर उपलब्ध नहीं होने के कारण वे भारत से गोबर से निर्मित जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) आयात करने लगे हैं. खासकर अमेरिका, नेपाल, कीनिया, फिलिपिंस, नेपाल जैसे देशों ने भारत से हर साल लाखों टन जैविक खाद मंगवाना शुरू कर दिया है.

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गाय के गोबर में पूतिरोधी एन्टिडियोएक्टिव एवं एन्टिथर्मल गुण होता है. गाय के गोबर में लगभग 16 प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व पाए जाते हैं. पशुओं के ताजे गोबर की रासायनिक रचना जानने के लिए, गोबर को ठोस व द्रव दो भागों में बांटते हैं. बाहर के दृष्टिकोण से ठोस भाग 75 फीसदी तक पाया जाता है. फास्फोरस ठोस भाग में ही होता है तथा नत्रजन व पोटाश, ठोस द्रव भाग में आधे-आधे पाए जाते हैं. गोबर खाद की रचना अस्थिर होती है. लेकिन इसमें आवश्यक तत्व नाइट्रोजन 0.5 से 0.6 प्रतिशत, फास्फोरस 0.25 से 0.3 प्रतिशत और पोटाश 0.5 से 1.0 प्रतिशत होता है. गोबर की खाद में उपस्थित 50% नाइट्रोजन, 20% फास्फोरस व पोटेशियम पौधों को शीघ्र प्राप्त हो जाता है. इसके अतिरिक्त गोबर की खाद में सभी तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा व जस्ता आदि तत्व सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं.

डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि गाय का गोबर मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है. भारत के ग्रामीण आंचल में गाय के गोबर के बहुत से उपयोग किए जाते हैं. गाय का गोबर वृद्धिकारक तथा मृदा उर्वरता पोषक है. यह त्वचा रोग खाज, खुजली, श्वासरोग, शोधक, क्षारक, वीर्यवर्धक, पोषक, रसयुक्त, कान्तिप्रद और लेपन के लिए स्निग्ध तथा मल आदि को दूर करने वाला होता है. उन्होंने कहा कि भले ही हमारे देश के लोगों ने गाय के गोबर के महत्व को उतना नहीं समझा है, लेकिन विदेशियों ने इसकी प्रमाणिकता सिद्ध कर दी है.

Last Updated : Jun 11, 2022, 10:21 PM IST

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