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Published : Feb 2, 2021, 9:09 PM IST

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मंदिर के पुजारी को पूजा-पाठ से रोकने के मामले में सांसद दीया कुमारी सहित अन्य का प्रार्थना पत्र खारिज

निचली अदालत ने अदालती आदेश के बावजूद जमवा माता मंदिर के पुजारी को पूजा-पाठ से रोकने के मामले में पूर्व राजपरिवार की सदस्य और सांसद दीया कुमारी सहित अन्य के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. अदालत ने यह आदेश पुजारी भगवती प्रसाद शर्मा की ओर से दायर अवमानना याचिका में पेश प्रार्थना पत्र पर दिए.

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मंदिर के पुजारी को पूजा-पाठ से रोकने के मामले में सांसद दीया कुमारी सहित अन्य का प्रार्थना पत्र खारिज

जयपुर. निचली अदालत ने अदालती आदेश के बावजूद जमवा माता मंदिर के पुजारी को पूजा-पाठ से रोकने के मामले में पूर्व राजपरिवार की सदस्य और सांसद दीया कुमारी सहित अन्य के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. अदालत ने यह आदेश पुजारी भगवती प्रसाद शर्मा की ओर से दायर अवमानना याचिका में पेश प्रार्थना पत्र पर दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि 4 अक्टूबर 2017 को अदालत ने जिस मामले में आदेश दिए थे, उसमें प्रार्थी पक्षकार नहीं थे. उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पक्षकार बनाया गया है. इसके अलावा जमावा माता मंदिर का प्रशासन पूर्व राजपरिवार के शिला माता मंदिर ट्रस्ट के अधीन आता है. भगवती प्रसाद ने गत 27 अक्टूबर को मंदिर में अनाधिकृत तरीके से प्रवेश करने का प्रयास किया था. जिसे शिला माता मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधकों ने रोका था और जमवारामगढ़ थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.

पढ़ें:मंदिर के पुजारी को पूजा-पाठ से रोकने पर कोर्ट के अवमानना नोटिस का दीया कुमारी ने दिया जवाब

वहीं मंदिर का सुचारू प्रबंध करने के लिए सरकारी अधिकारियों और प्रार्थी व उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति में बैठक हुई. जिसमें प्रार्थी की सहमति से भौरीलाल शर्मा व उसके एक सहायक को स्थाई समाधान होने तक मंदिर की पूजा के लिए अधिकृत किया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया.

भगवती प्रसाद की ओर से अवमानना याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2017 को ओसरे के अनुसार पूजा करने के आदेश देते हुए स्थगन दिया था. उसका 10 अक्टूबर से 8 नवंबर 2020 तक ओसरा था. इसी दौरान 27 अक्टूबर को कुछ लोगों ने आकर उससे मारपीट की और मंदिर से बाहर कर दिया. मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे थे. इस दौरान प्रार्थी को धमकी दी गई की पूर्व राजपरिवार की इच्छा के बिना वह मंदिर में प्रवेश ना करे.

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