जयपुर.डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी कंपनी के कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उपयुक्त संसाधन नहीं मिलने के चलते सफाई कर्मचारी काम से दूरी बनाए हुए हैं. ऐसे में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन नहीं हो पा रहा है और शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लग रहे हैं. शहर के हैरिटेज निगम परिसर में ही कचरा डिपो बन गया. वहीं, ग्रेटर नगर निगम के मुख्य मार्ग कचरे के ढेर लगे हुए हैं.
राजधानी में बेपटरी हुई सफाई व्यवस्था पढ़ें- SPECIAL : 31 मई तक होने वाली 13000 शादियों के लिए मांगी गई परमिशन...फेरे फिर हो जाएंगे, जिंदगी न मिलेगी दोबारा
डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण में फेल बीवीजी कंपनी से हर पार्षद नाराज है और अब तो इससे जुड़े सफाई कर्मचारी भी बीवीजी की वर्किंग स्टाइल से खुश नहीं है. यही वजह है कि जो डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण हर दिन होना चाहिए, वो सप्ताह में 3 दिन और कुछ जगह पर तो दो सप्ताह में एक बार गाड़ी पहुंच रही है. मजबूरन लोगों को सड़क पर कचरा फेंकना पड़ रहा है.
बढ़ रहा खतरा...
कोरोना संक्रमण के समय खुले में कचरा पड़े रहने के कारण खतरा और भी बढ़ रहा है. आलम ये है कि जिस हैरिटेज निगम मुख्यालय से इसकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए, वहां भी कचरा डिपो जैसा नजारा देखने को मिल रहा है.
मुख्य मार्ग के दोनों ओर कचरा
कुछ यही हालात ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र के हैं, जहां मुख्य मार्ग के दोनों तरफ कचरे के ढेर देखने को मिले. क्षेत्रीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार स्वच्छ सर्वेक्षण तक तो यहां सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जन अनुशासन पखवाड़े से बीवीजी कंपनी और निगम दोनों का सफाई को लेकर अनुशासन बिगड़ गया. अब तो ये गंदगी के ढेर कहीं ना कहीं कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों को भी न्योता दे रहे हैं.
हाईकोर्ट ने लगाई है रोक
हाल ही में ग्रेटर नगर निगम महापौर की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कई पार्षदों ने शहर की सफाई व्यवस्था और बीवीजी के ढर्रे को को लेकर शिकायत की थी. हालांकि, निगम प्रशासन बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना बैठा है. लेकिन, फिलहाल बीवीजी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है. ऐसे में निगम के हाथ बंधे हुए हैं, लेकिन कंपनी से जुड़े सफाई कर्मचारियों को कोविड-19 काल में उपयुक्त सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराना कंपनी की जिम्मेदारी है. उसमें भी कंपनी फेल साबित हो रही है.