जयपुर.प्रदेश में वर्ष 2021 के दिसंबर माह में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे थे और फिर तीसरी लहर का कहर बरपा था. हालांकि मौजूदा समय की बात करें तो संक्रमण के मामले तेजी से कम हो रहे हैं और सरकार की ओर से भी सभी पाबंदियां हटा ली गई हैं और विश्व में कहीं भी संक्रमण की चौथी लहर की बात नहीं की जा रही. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण वापस लौटेगा या नहीं इसे लेकर कोई भी बयान देना अभी जल्दबाजी होगी.
मौजूदा समय में प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कभी संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो कभी अगले ही दिन मामलों में बढ़ोतरी भी देखी जा रही है. इसी बीच सरकार की ओर से भी कोविड-19 भी को लेकर जो पाबंदियां लगाई गईं थीं उन्हें पूर्ण रूप से हटा लिया गया है. हालांकि मास्क, सैनिटाइजर और 2 गज की दूरी को लेकर बार-बार अपील की जा रही है.
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प्रदेश जब कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में था तो विशेषज्ञों का दावा था कि बीते वर्ष नवंबर या दिसंबर में संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है और ऐसा देखने को भी मिला था. गत वर्ष दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में एकाएक संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. हालांकि फिलहाल चौथी लहर को लेकर चेतावनी जारी नहीं की गई है. मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि बीते कुछ समय से संक्रमण के मामले कम हुए हैं और इनमें उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल रहा है लेकिन संक्रमण पूर्ण रूप से खत्म होगा या नहीं इसे लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी, फिर भी प्रोटोकॉल की पालना जरूरी है.
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों की बात करें तो बीते कुछ समय से संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. तीसरी लहर के दौरान हर दिन 10 से 15 हजार मामले आ रहे थे. धीरे-धीरे मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हो रही थी.
- 3 महीने में 324197 संक्रमण के नए मामले प्रदेश में दर्ज
- बीते 3 महीने में 580 मरीजों की संक्रमण से गई जान
- तीसरी लहर में प्रदेश में सर्वाधिक मामले जयपुर में 3 महीने में 84743 मामले दर्ज
- 137 मरीजों की मौत अकेले जयपुर जिले में हुई
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आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि कोरोना को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई है यदि कुछ दिन और उसकी सतर्कता से पालना की जाए तो निश्चित तौर पर संक्रमण को रोका जा सकता है. डॉक्टर सिंह का यह भी कहना है कि ओमीक्रोन के लगभग 95 फ़ीसदी मामलों में मरीजों में एसिंप्टोमेटिक लक्षण देखने को मिले हैं और सिंप्टोमेटिक मामलों में माइल्ड फीवर और थ्रोट इंफेक्शन के ही मामले सामने आए हैं.