जयपुर.प्रदेश में कोरोना एक बार फिर से अपने पैर पसारने का काम कर रहा है. ओमीक्रोन के भी कई केस सामने आ चुके हैं. सरकार आमजन से सतर्क रहने की चेतावनी दे चुकी है. वहीं प्रदेश के सेंट्रल जेल और अन्य कारागारों में स्थिति चिंतनीय है. इन जेलों में कोरोना का खतरा मंडरा रहा (danger of corona on Prisoners Rajasthan) है.
प्रदेश की तमाम सेंट्रल जेल और जिला कारागारों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. ऐसे में कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाना बिल्कुल भी संभव नहीं है. वहीं जयपुर जिला कारागार में बीते 2 दिनों में 21 कैदी कोरोना संक्रमित पाए गए (corona cases in Jaipur Jail) हैं, जो जेल प्रशासन के लिए खतरे की घंटी है. हालांकि, जेल प्रशासन लगातार कैदियों को आइसोलेशन वार्ड में रखने और कोरोना प्रोटोकॉल की पालना कराने की बात कह रहा है लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ और ही है.
प्रदेश की 9 सेंट्रल जेल में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 9284 कैदियों की है. जबकि वर्तमान में जेल में 9966 कैदी बंद हैं, जो क्षमता से 7.35 प्रतिशत अधिक है. इसी प्रकार से प्रदेश की 26 जिला कारागारों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 6085 कैदियों की है. जबकि वर्तमान में जेल में 7270 कैदी बंद हैं, जो क्षमता से 19.47 प्रतिशत अधिक हैं. जेल में बंद कैदियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने की खबर आते ही ना केवल जेल में बंद अन्य कैदियों में भय का माहौल व्याप्त है बल्कि जेल में बंद कैदियों के परिवार के सदस्य भी काफी चिंतित हो रहे हैं. सबसे ज्यादा डर जेल में बंद ऐसे कैदियों को सता रहा है, जो पूर्व से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं या जिनकी मेडिकल हिस्ट्री रही है.
सरकार और न्यायपालिका को जल्द उठाने होंगे कदम
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि जयपुर जिला कारागार में पिछले 2 दिनों में 21 कैदियों के कोरोना संक्रमित पाई जाने की खबर काफी गंभीर है. यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया और कैदियों की सुरक्षा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भी ज्यादा विकट हो सकती है. कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार और न्यायपालिका को जल्द इस ओर ध्यान देते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे. जिससे जेल में फैल रहे कोरोना संक्रमण से कैदियों को बचाया जा सके.
शेखावत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में जब जेल में संक्रमण फैला था तो सरकार और न्यायपालिका ने इस ओर तुरंत ध्यान देते हुए कैदियों को पैरोल पर और जमानत पर रिहा करने के आदेश जेल विभाग को दिए थे. जिसके चलते बड़ी संख्या में कैदियों को पैरोल व जमानत पर रिहा किया गया था और जेल में क्षमता से अधिक कैदियों की जो संख्या थी, उसमें काफी कमी देखने को मिली थी. जिसके परिणाम स्वरूप जेल में कैदियों के बीच कोरोना का प्रसार भी रुक गया था. अब एक बार फिर से ऐसे ही कदम उठाते हुए कैदियों को पैरोल व जमानत पर रिहा करने के बारे में सोचा जाना चाहिए.