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Special : कोरोना ने तोड़ी रेल प्रशासन की कमर, ट्रेन संचालन के साथ कुली-वेंडर का काम भी ठप

कोरोना के चलते रेलवे प्रशासन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. छह माह से रेल सेवा नियमित रूप से संचालित नहीं हो पा रही है, जिससे यहां काम करने वाले कुलियों और वेंडरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. जयपुर जंक्शन पर यात्रियों की संख्या कम होने से कुलियों और वेंडरों का धंधा चौपट हो गया है. देखें ETV भारत की खास रिपोर्ट...

Corona increased the problems of railway and porters
कोरोना ने बढ़ाई रेलवे और कुलियों की मुश्किलें

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Published : Sep 24, 2020, 12:21 PM IST

जयपुर.कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है. वहीं, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की तो मानो कमर ही तोड़ कर रख दी है. रेलवे और परिवहन विभाग को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. ट्रेनें भी नियमित रूप से संचालित नहीं हो पा रही हैं. जयपुर जंक्शन पर जहां दिनभर ट्रेनों की आवाजाही लगी रहती थी अब वहां गिनी चुनी गाड़ियां ही आती हैं. प्लेटफार्म पर भी यात्रियों की संख्या बेहद कम रहती है. कोरोना के चलते जयपुर जंक्शन पर काम करने वाले वेंडर और कुलियों को भी रेल संचालन ठप होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है.

कोरोना ने बढ़ाई रेलवे और कुलियों की मुश्किलें...

रेलवे को प्लेटफार्म टिकट पर भी हो रहा नुकसान...

देश भर में रेलवे स्टेशन पर सर्विस के लिए मिलने वाला प्लेटफार्म टिकट इन दिनों कुछ स्टेशनों पर 50 रुपये में मिल रहा है. हालांकि, इसकी सामान्य कीमत 10 रुपये है, लेकिन इस समय इसे 5 गुना बढ़ा दिया गया है. प्लेटफार्म टिकट की कीमत बढ़ाने के बाद कई स्टेशनों पर इसे लेकर विवाद भी खड़ा हुआ था. स्टेशन पर अनावश्यक भीड़ कम करने के लिए दरें बढ़ाई गई हैं, लेकिन जयपुर मंडल प्रशासन ने इस कदम के बाद स्टेशनों पर विजिटर्स की एंट्री को बंद कर रखा है. इससे रेलवे प्रशासन को हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है.

दुकानें पड़ीं खाली...

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बता दें कि लॉकडाउन से पहले रोजाना 4000 प्लेटफार्म टिकट जयपुर जंक्शन पर बिकते थे, यानी प्रतिमाह 1 प्वाइंट 20 लाख प्लेटफार्म टिकट बीच जाते थे. इसकी बिक्री पर रोक लगाने से रेलवे को हर माह लगभग 12 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं, गांधीनगर, दुर्गापुरा, अलवर, बांदीकुई, रेवाड़ी सहित उत्तर पश्चिम रेलवे के प्रमुख स्टेशन पर भी रेलवे को रोजाना लाखों रका नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालांकि, रेलवे की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड जल्दी विजिटर्स की एंट्री के लिए एक योजना बना रहा है. ऐसे में जल्द ही इसके बारे में विस्तृत गाइडलाइन जारी की जाएगी.

प्लेटफार्म भी हैं खाली...

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कुली भी हो रहे आर्थिक तंगी के शिकार...

जयपुर जंक्शन पर काम करने वाले कुलियों की माने तो लॉकडाउन के बाद कुली बेरोजगार हो गए हैं. लॉकडाउन से पहले रोजाना कुली जंक्शन पर 500 से 800 रुपये तक कमा लेते थे, जिससे उनका गुजारा आराम से हो जाया करता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का संचलान बंद होने के बाद कुलियों के सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया.

कुलियों के घरों में ठीक से राशन की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है. कुलियों ने कई बार रेलवे अधिकारियों को भी समस्या से अवगत कराया है, लेकिन उनकी ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं जयपुर जंक्शन के बाहर कैब, रिक्शा चलाने वाले ड्राइवरों की माने तो कम ट्रेनों के संचालन से यात्री भी नहीं आ रहे हैं जिससे कमाई नहीं हो पा रही है. ज्यादातर लोग अपने वाहनों से ही सफर कर रहे हैं जिससे रिक्शा चालकों को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ रहा है.

वेंडर्स की भी स्थिति खराब...

जयपुर जंक्शन पर काम करने वाले वेंडर्स की माने तो कोरोना काल के बाद उनका काम बिल्कुल बंद हो गया है. जयपुर जंक्शन पर काम करने वाले वेंडर्स के कार्यकर्ता नरेंद्र में बताया कि लॉकडाउन के बाद जयपुर जंक्शन पर कई स्टॉल बंद हो गए हैं. रेल संचालन ठप होने और यात्रियों के न आने से वेंडर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं रेलवे प्रशासन के ओर से भी लाइसेंस फीस को लेकर स्थिति साफ नहीं की जा रही है. जिससे वेंडर्स पर कर्ज बढ़ता जा रहा है.

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