जयपुर.राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पाठ्यक्रमों में बदलाव को लेकर विवाद शुरू हो जाता है. प्रदेश में 2013 में जब बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई तो स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव का दौर शुरू हुआ और वो पूरे पांच साल तक चला. कभी महाराणा प्रताप की हल्दीघाटी के युद्ध में जीत को लेकर तो कभी सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता को लेकर बीजेपी सरकार हमेशा निशाने पर रही.
यह विवाद यहीं कहां रुकने वाला था. जैसे ही 2018 में प्रदेश में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ और कमान कांग्रेस ने संभाली तो अपनी सहूलियत के अनुसार बदलाव कर एक बार फिर पाठ्यक्रम विवाद का जिन्न बोतल के बाहर आ गया. कांग्रेस ने सत्ता में आने के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव को फिर से बदलने के संकेत दे दिए थे. लेकिन अब जब नया सिलेबस सामने आया तो विवाद फिर से गहरा गया है.
कांग्रेस ने इस बार महाराणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध, पद्मावती जौहर का चित्रण, वीर सावरकर, नोटबंदी, गणित फार्मूला, सूर्य नमस्कार जैसे विषयों में बदलाव कर विवाद को फिर जन्म दे दिया है. बीजेपी ने जहां इस बदलाव को कांग्रेस की राजनीतिक दुर्भावना बताया है तो वहीं कांग्रेस पाठ्यक्रम में बदलाव के पीछे पूर्ववर्ती सरकार के राजनीतिक एजेंडे को कारण बता रही है. पाठ्यक्रम में हुए इस बदलाव को लेकर जहां कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग जारी है वहीं सोशल मीडिया पर भी एक बहस सी छिड़ी हुई है.
वीडियोः राजस्थान में पाठ्यक्रम में बदलाव पर गहराया विवाद पहले अकबर महान को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस सरकार में आते ही विवादों में घिर गई थी. इस विवाद से बचने के लिए कांग्रेस ने इस बार नए सिलेबस में हल्दीघाटी के युद्ध में विजय और पराजय के निष्कर्ष पर जाने की बजाय महाराणा प्रताप के शौर्य, वीरता और उनकी बलिदान के किस्से को शामिल कर रास्ता जरूर निकाला है लेकिन कई अन्य बदलावों को लेकर कांग्रेस विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है.
पद्मावती जौहर के चित्रण को कक्षा 8 की अंग्रेजी की पुस्तक से हटाने पर जहां राजपूत समाज कांग्रेस के खिलाफ खड़ा हो गया है वहीं वीर सावरकर को देशभक्त और वीर नहीं बताने पर भाजपा. इसके साथ ही कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार में शामिल किए गए नोट बंदी जैसे विषय के अलावा गणित पुस्तक के कई फॉर्मूले भी बदले हैं जिसको लेकर विवाद जारी है. इस बदले हुए पाठ्यक्रम की लाखों पुस्तकें नए सत्र के लिए छपवाई जा चुकी हैं.
पूर्ववर्ती सरकार के समय पाठ्यक्रम में हुए वो बदलाव जिन पर गहराया विवाद
पहला विवाद महाराणा प्रताप का अकबर महान को लेकर :- प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अकबर महान को लेकर विवादों में घिर गए थे, लेकिन नए सिलेबस में कांग्रेस अकबर महान या महाराणा प्रताप महान विवाद से बचने के लिए अब बच्चों को महाराणा प्रताप के शौर्य, बलिदान और वीरता के किस्से पढ़ाने जा रही है.
दूसरा विवाद सावरकर को लेकर :- कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर की जीवनी वाले हिस्से में बदलाव किया है. तीन साल पहले भाजपा सरकार ने पाठ्यक्रम में बदलाव कर दामोदर सावरकर को वीर, महान, देशभक्त, क्रांतिकारी बताया था. उसे बदलकर कांग्रेस शासन में नए सिरे से तैयार स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर के नाम के आगे वीर हटाकर उन्हें जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है. इसको लेकर बीजेपी आग बबूला है.
तीसरा पद्मावत जौहर विवाद :- कांग्रेस सरकार अंग्रेजी की आठवीं क्लास में पद्मावती जोहर के चित्र को हटा के दुर्ग का चित्र लगा रही है. जिसको लेकर कांग्रेस विपक्ष के निशाने पर होने के साथ साथ अब राजपूत समाज के निशाने पर भी आ गई है. राजपूत समाज ने शिक्षा मंत्री और सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दे दी है.
चौथा गणित फार्मूले को लेकर विवाद :-12वीं क्लास के गणित पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है. इसके साथ ही पिछली सरकार में लागू की गई गणित की पुस्तक को बैन कर दिया गया है. प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने अपनी दलील दी है कि 12 वीं गणित में फार्मूले में गलतियों की भरमार है. ऐसा लग रहा है जैसे पकोड़े तलने वालों ने किताब में फार्मूले सेट किए हैं. वहीं बीजेपी कांग्रेस के इस आरोप को सिरे से खारिज कर रही है.
पांचवा विवाद नोटबन्दी को लेकर :-केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के विषय को पाठ्यक्रम में जोड़ने को लेकर भी विवाद गहराया हुआ है. बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी को उपलब्धि के रूप में, भ्रष्टाचारियों और काले धन पर किया गया बड़ा फैसला बता कर इसे पाठ्यक्रम में बच्चों को पढ़ाना चाहती थी. उसे कांग्रेस सरकार ने बदल दिया है. अब बच्चों को नोटबंदी का अध्याय नहीं पढ़ाया जाएगा.
छठा विवाद सूर्य नमस्कार :-प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार अनिवार्य रूप से लागू किया था. इसको लेकर भी प्रदेश में काफी बवाल मचा था. अब कांग्रेस सरकार सत्ता बदलने के साथ में इस अनिवार्यता को खत्म करने जा रही है.