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Rajasthan High Court: अदालती आदेश के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाने पर टोंक कलेक्टर को अवमानना नोटिस - Contempt notice to Tonk collector

राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने अदालती आदेश के बावजूद प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल डिग्गी गांव की चारागाह भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाने के मामले में टोंक कलेक्टर चिन्मयी गोपाल को अवमानना के नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
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Published : Jan 21, 2022, 1:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने अदालती आदेश के बावजूद प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल डिग्गी गांव की चारागाह भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाने के मामले में टोंक कलेक्टर चिन्मयी गोपाल को अवमानना के नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. जस्टिस मनिन्दर मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस बिरेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने यह रामनारायण मीणा की अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

अवमानना याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया की डिग्गी की करीब 2100 बीघा चारागाह भूमि पर प्रभावशाली लोगों ने कच्चे और पक्के अतिक्रमण कर रखे हैं. जिसकी वजह से ग्रामीणों को मवेशियों को चराने में परेशानी हो रही है. खंडपीठ ने गत वर्ष 7 सितम्बर को टोंक कलेक्टर को तीन महीने में अतिक्रमण हटाने के संबंध में कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन अदालत के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में अवमानना कर्ता अफसर को दंडित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने टोंक कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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गौरतलब है की याचिकाकर्ता ने गत सितंबर महीने में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि डिग्गी गांव में प्रसिद्ध कल्याण जी महाराज का मंदिर स्थित है और हर साल लाखों यात्री यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन यहां स्थित करीब 2100 बीघा चारागाह भूमि पर गांव के प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर रखे हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को कई बार लिखित शिकायत भी की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

स्थानीय उपखंड अधिकारी ने जिला कलेक्टर को 4 जनवरी 2020 को पत्र भेजकर कहा कि संसाधनों के अभाव में ग्राम डिग्गी के अतिक्रमण हटाना असम्भव है. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित पीएलपीसी को अभ्यावेदन देने और कलेक्टर को उस पर तीन महीने में कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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