जयपुर.राजस्थान में सियासी संकट के कारण अब फिर से एक बार राजनीतिक नियुक्तियों पर ब्रेक लग गया है. वहीं, अगर सरकार बचती है तो भी राजनीतिक नियुक्तियों में विधायकों को प्राथमिकता दी जाएगी. ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ता जो अब तक लंबे समय से नियुक्तियों का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने अपना ध्यान अब संगठन में पद पाने पर लगा दिया है.
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बने डेढ़ साल से कुछ ज्यादा का समय हुआ है, लेकिन इसी बीच सरकार अपने ही विधायकों के बागी तेवर अपना लेने के बाद गहरे राजनीतिक संकट में फंस गई है. ऐसे में सबसे बड़ा नुकसान उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हुआ है, जो बीते डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियों की बांट जोह रहे थे. पहले कोरोना संक्रमण, फिर राज्यसभा चुनाव और अब सत्ता के लिए सियासी घमासान को लेकर चल रहे महासंग्राम में कांग्रेस का कार्यकर्ता कहीं गुम सा हो गया है और राजनीतिक नियुक्तियां अटक गई है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच चल रही सियासी जंग के चलते अब कार्यकर्ताओं को इसी बात पर संशय हो गया है कि सरकार बचेगी या नहीं. अगर इस सियासी घटनाक्रम में सरकार पर कोई आंच आती है तो सबसे ज्यादा धक्का भी उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को लगेगा, जिन्होंने पूरे 5 साल जमकर मेहनत की थी और उन्हीं के योगदान से सरकार बनी. अब नेताओं के आपसी द्वंद के चक्कर में आम कांग्रेसी कार्यकर्ता हैरान और परेशान हैं. जहां कांग्रेसी कार्यकर्ता सरकार बनने के बाद अपने काम के बदले राजनीतिक नियुक्तियों की बांट जोह रहा था. वहीं, दूसरी ओर अब सरकार बचाने के ही लाले पड़ गए हैं.