जयपुर.राजस्थान में कांग्रेस पार्टी बीते करीब 2 साल से संगठन की सबसे छोटी कड़ी ब्लॉक अध्यक्ष ,ब्लाक कार्यकारिणी और सबसे महत्वपूर्ण जिला अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी के बिना काम कर रही है. कहने को कांग्रेस पार्टी ने 42 में से 13 जिला अध्यक्ष बना दिए हैं लेकिन सच्चाई ये है कि उन 13 जिला अध्यक्षों के पास भी उनकी कार्यकारिणी नहीं है. ऐसे में खुद ब खुद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस संगठन के हालात क्या हैं? भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Congress PCC Chief Govind Singh Dotasra) के पास 39 सदस्यों की कार्यकारिणी है लेकिन हकीकत ये भी है कि इससे पार्टी का काम पूरा नहीं चल रहा. ये हालात तो तब हैं जब सूबे के चुनाव में 18 महीने का ही समय बाकी है.
संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस को करना पड़ रहा संघर्ष, खामियों को नहीं किया गया दूर तो बिगड़ेंगे हालात!
राजस्थान में कांग्रेस नीत सरकार है. अगले विधानसभा चुनावों में महज 18 महीनों का समय शेष है. ऐसे में मुख्य विपक्षी पार्टी अपने गढ़ और मोर्चे को मजबूत करने की जद्दोजहद में जुटी हैं तो वहीं सत्ताधारी पार्टी (Congress Vs BJP In Rajasthan) निचले से उच्च स्तर को सेट करने के चक्कर में पड़ी है. इससे संगठन कमजोर हो रहा है और राजनीतिक नियुक्तियों के आसरे सब ठीक हो जाने की उम्मीद बंधाई जा रही है.
बीच का रास्ता समझ से परे: जिलास्तर की बात करें तो कांग्रेस पार्टी का संगठन अभी बिना जिला एवं ब्लॉक अध्यक्षों और उनकी कार्यकारिणी के कमजोर (Congress Struggling in shaping its organisation In Rajasthan) है. पार्टी के दिग्गजों ने इसके लिए बीच का रास्ता निकाला. किया ये कि जिन नेताओं को निगम और बोर्ड में चेयरमैन या अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी, उन्हीं नेताओं से काम चला लिया. उनको संगठन के जिला प्रभारी की जिम्मेदारी थमा दी. कहा जा रहा है कि भले ही जिम्मेदारी कांग्रेस के इन निगम और बोर्ड के चेयरमैनों को सदस्यता अभियान को सफल बनाने के लिए सौंपी हो लेकिन अब जब तक जिले और ब्लॉक में कांग्रेस पदाधिकारी नहीं बना देती है तब तक यही नेता संगठन के कामकाज को भी देखेंगे.
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जल्द ही होगी नियुक्तियां:कांग्रेस पार्टी में दो चरणों में करीब 50 बड़ी नियुक्तियां कर दी हैं. अब भी 2 दर्जन नेता ऐसे हैं जिनका नंबर राजनीतिक नियुक्तियों में नहीं आया है. उम्मीद है कि कभी भी राजनीतिक नियुक्तियों की एक और लिस्ट जारी की जा सकती है. नियुक्तियां मिलने के बाद इन नेताओं को भी अपने बोर्ड, निगम के साथ ही संगठन के काम की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी. 50 में से 14 निगम और बोर्ड अध्यक्ष विधायक हैं, ऐसे में विधायकों को छोड़ बाकी सभी नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके पीछे सोच ये है कि जब तक संगठन में नियुक्तियां नहीं होंगी कम से कम तब तक संगठन का काम प्रभावित न हो.