जयपुर. राजस्थान में 4 राज्यसभा सीटों की चुनावी (Rajyasabha Election for four seat) बिसात बिछ चुकी है. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस विधायकों का बाड़ेबंदी होना तय है. बाड़ेबंदी इसलिए क्योंकि अगर भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए दो प्रत्याशी उतार दिए, तो संख्या बल को बनाए रखने के लिए चुनौती से पार पाना होगा. कांग्रेस को (congress strategy for rajyasabha election) बाड़ेबंदी करनी पड़ सकती है.
संख्या बल के लिहाज से देखा जाए तो वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 108 सदस्य हैं, बाकि 13 निर्दलियों , 2 बीटीपी और माकपा के 2 विधायकों को साथ रखने के लिए कांग्रेस को उन्हें साधे रखना होगा. राष्ट्रीय लोकदल के एकमात्र विधायक पहले से सरकार में हैं और मंत्री पद संभाले हुए हैं. ऐसे में उनके वोट की चिंता कांग्रेस को नहीं है. राज्यसभा की तीन सीटें पक्की करने के लिए कांग्रेस को बीटीपी, माकपा और निर्दलीय विधायकों की आवभगत करनी पड़ेगी. दूसरी तरफ दिल्ली में भी दौड़ भाग का सिलसिला जारी है, आखिरी दौर तक कोशिश है कि किसी तरह से अपने खेमे के नाम सेट हो जाए.
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अभी तक नहीं आए नामांकनः राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया 24 मई से शुरू हो चुकी है और 10 जून को मतदान होना है. अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही अपनी तरफ से प्रत्याशियों का चुनाव नहीं कर पाए हैं. लिहाजा राजस्थान से फिलहाल किसी भी प्रत्याशी की तरफ से पर्चा दाखिल नहीं किया गया है. मुख्य निवार्चन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के मुताबिक 31 मई, 2022 तक नामांकन पत्र लिए जाएंगे.
शनिवार 28 मई और रविवार 29 मई को अवकाश के दिन नामांकन प्रक्रिया नहीं होगी. नामांकन पत्र सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक विधानसभा के कमरा नंबर 110 और 706 में लिए जाएंगे. कमरा नंबर 110 में रिटर्निंग ऑफिसर नामांकन पत्र लेंगे. रिटर्निंग ऑफिसर के गैरमौजूद होने पर कमरा नंबर 706 में एआरओ नामांकन पत्र लेंगे. 1 जून, 2022 को नामांकन पत्रों की जांच होगी. अभ्यर्थी 3 जून तक नाम वापस ले सकेंगे. जरूरी होने पर मतदान 10 जून को 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगा, मतगणना इसी दिन शाम 5 बजे से होगी.
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जयपुर से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग हुई तेजः बीते कुछ सालों से यह राजस्थान की राजनीति का ट्रेंड बन चुका है कि राज्यसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल के विधायक अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं और मांगों को मनवाने की कोशिश करते हैं. हाल ही में विधायक गणेश घोघरा की नाराजगी के बाद एक सीट आदिवासी के नाम पर दिए जाने की मांग ने भी जोर पकड़ा है. बुधवार को मंत्री महेंद्रजीत मालवीय पीसीसी पर जनसुनवाई को छोड़कर दिल्ली में आलाकमान से मिलकर प्रदेश नेतृत्व के समीकरण समझाने के लिए पहुंचे. दूसरी तरफ जातिगत धड़ों की मांग ने भी जोर पकड़ लिया और दिल्ली दरबार में अजय माकन और कैसी वेणुगोपाल के पास अपना अपना मत जाहिर करने के लिए नेताओं ने लॉबिंग तेज कर दी.
राजस्थान में फिलहाल अशोक गहलोत की सरकार है और कांग्रेस सत्ता में है. ऐसे में कांग्रेस के साथ साथ समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और अन्य दल भी वोटिंग से पहले अपनी मांगों को मुखर होकर रखने में मशगूल हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी इन चुनावों में 2 प्रत्याशियों के साथ मैदान में होगी. ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनौती है और कांग्रेस राजस्थान में फिर से सियासी बाड़ेबंदी की राह को चुन सकती है. राजस्थान में 4 सीटों पर चुनाव होना है , जिसमें सब ठीक ठाक होने की हालत में संख्याबल के हिसाब से कांग्रेस 3 सीट जीत सकती है. वहीं भाजपा के खाते में 1 सीट जाना तय दिख रहा है. लेकिन चौथी सीट पर बीजेपी की तरफ से आने वाले उम्मीदवार के कारण मुकाबला रोचक होता दिख रहा है.
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सीटों का यह है गणितःराजस्थान में कांग्रेस के 108, भाजपा के 71 विधायक, निर्दलीय 13, आरएलपी के 3, बीटीपी के 2, माकपा 2 और आरएलडी का एक विधायक है. इस लिहाज कांग्रेस के पास 126 विधायकों का गणित बैठ रहा है. वहीं भाजपा के पास 74 विधायक हैं . कांग्रेस 3 प्रत्याशी खड़े करती है, तो 41-41-41 यानी पहली वरीयता के 123 वोट चाहिए. बीजेपी यदि 2 प्रत्याशी खड़े करेगी, तो पहली वरीयता के 41-41 के हिसाब से 82 वोट होने चाहिए. ऐसे में 1 सीट के लिए मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है. भाजपा को कांग्रेस खेमे के 8 वोट तोड़ने होंगे. 74 विधायकों के बाद भाजपा को दूसरा प्रत्याशी जीताने के लिए केवल 8 वोटों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में भाजपा सेंध मारने की पूरी कोशिश करेगी. निर्दलीयों में से किसी विधायकों को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर सकती है. दूसरी तरफ दिल्ली दरबार में जोड़-तोड़ का दौर जारी है. कांग्रेस विधायक आलाकमान से मिलकर प्रदेश नेतृत्व के राय खिलाफ अपनी बात दिल्ली के नेताओं के सामने रख रहे हैं.
अब राज्यसभा में मजबूत होगी कांग्रेसः राज्यसभा में राजस्थान के राज्यसभा सदस्यों की कुल 10 सीटें हैं. इन 10 में से 7 सदस्य बीजेपी के हैं. जबकि कांग्रेस के केवल 3 सदस्य हैं. बीजेपी से ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फॉस, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, भूपेन्द्र यादव और राजेन्द्र गहलोत राज्यसभा सदस्य हैं. जबकि कांग्रेस से डॉ. मनमोहन सिंह, केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राज्यसभा सदस्य हैं. बीजेपी के ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा होने जा रहा है. इससे पहले 10 जून को नए राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं. इन चुनावों में 4 में से 3 सीटें कांग्रेस के प्रत्याशियों की ओर से जीतने के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 3 से बढ़कर सीधे 6 हो जाएगी. जबकि बीजेपी सदस्यों की संख्या घटकर 4 रह जाएगी. ऐसे में कांग्रेस अब राज्यसभा में मजबूत होने जा रही है.
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कौन होगा स्थानीय चेहराः राज्यसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच एक बात यह है कि पैराशूट के जरिए दिल्ली से आने वाले नामों के बीच प्रदेश के प्रमुख चेहरों को भी वरीयता दी जाए. कांग्रेस में भी इस फेहरिस्त में कई नाम राजस्थान से उठ रहे हैं. जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है. जितेन्द्र सिंह अलवर से विधायक और सांसद रह चुके हैं और लगातार दो मर्तबा लोकसभा चुनाव में शिकस्त का सामना कर चुके हैं. राहुल गांधी के करीबी लोगों में जितेंद्र सिंह का नाम शुमार होता है, ऐसे में स्थानीय होने के नाते उनकी दावेदारी भी मजबूत दिख रही है. फिलहाल नीरज डांगी ही मूल रूप से राजस्थान से आते हैं.
इस लिहाज से माना जा रहा है कि तीन प्रत्याशियों में से कम से कम 1 नाम मूल राजस्थानी नेता का होगा. हाल ही में मौजूदा सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं के बाद यह भी समझा जा रहा है कि कांग्रेस किसी एक अल्पसंख्यक चेहरे को राजस्थान से दिल्ली भेज सकती है. इनमें पूर्व मंत्री दुरु मियां, अश्क अली टाक और प्रियंका गांधी के साथ यूपी में काम संभाल रहे जुबेर खान इस फेहरिस्त का हिस्सा हो सकते हैं. जिस तरह से चिंतन शिविर में युवाओं को तवज्जो देने की बात की गई थी, उसमें किसी युवा नेता की भी दावेदारी को स्थानीय चेहरों के लिहाज से मजबूत माना जा रहा है. राज्यसभा में अपने नेताओं को भेजने के लिए कांग्रेस के लिए राजस्थान मुफीद जगह है. लिहाजा G23 के प्रमुख नेताओं में से किसी को राजस्थान से ही भेजा जा सकता है. ऐसे में आदिवासी जातिगत समीकरण स्थानीय नेता अल्पसंख्यक चेहरे और G23 के नेताओं के बीच कौन राज्यसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेगा, इसे लेकर मौजूदा गतिरोध के बीच कांग्रेस फिलहाल पशोपेश में ही दिख रही है.
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2020 में भी सेंध लगाने के प्रयास में थी भाजपा: साल 2020 में राजस्थान से तीन राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव हुआ था. संख्या बल के हिसाब से दो सदस्य कांग्रेस के और एक सदस्य भाजपा का जीतना तय था. लेकिन भाजपा ने दो प्रत्याशी मैदान में उतार कर मुकाबला किया था. कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को प्रत्याशी बनाया, जबकि भाजपा ने राजेन्द्र गहलोत और ओंकार सिंह लाखावत को मैदान में उतारा. हालांकि भाजपा सेंध लगाने में कामयाब नहीं हुई. वेणुगोपाल और डांगी के साथ बीजेपी के राजेंद्र गहलोत को भी जीत मिली थी. कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी के साथ भाजपा के राजेन्द्र गहलोत ने जीत हासिल की थी. ओंकार सिंह लाखावत को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि लाखावत को पता था वे चुनाव नहीं जीतेंगे, लेकिन पार्टी आलाकमान का आदेश था कि उन्हें नामांकन दाखिल करना है, इसलिए उन्होंने नामांकन किया और चुनाव लड़ा था.
राजस्थान से राज्य सभा सांसद
1.नीरज डांगी - कांग्रेस
2. राजेंद्र गहलोत - भाजपा
3. केसी वेणुगोपाल - कांग्रेस
4. ओमप्रकाश माथुर - भाजपा
5. केजे अल्फोंस - भाजपा
6. रामकुमार वर्मा - भाजपा
7. हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर - भाजपा
8. डॉ. किरोड़ी लाल - भाजपा
9. डॉ. मनमोहन सिंह - कांग्रेस
10. भूपेन्द्र यादव- भाजपा