जयपुर. राजस्थान में भले ही विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल से ज्यादा का समय शेष है. लेकिन सत्ताधारी दल कांग्रेस हो या फिर विपक्षी पार्टी भाजपा, दोनों सियासी जमीन पर मनमाफिक पासा फेंकने में लगी हैं. दोनों ही पार्टियां किसी भी हाल में एक दूसरे से कमजोर नहीं दिखना चाहती हैं. कांग्रेस जहां अपने गढ़ को बचाते हुए (Congress Strategy for Mission 2023) सरकार को रिपीट करने के लिए रणनीति तैयार करने में जुटी है तो वहीं भाजपा पिछले चुनाव में हाथ से निकल चुकी सीटों पर दोबारा कब्जा जमाने के लिए सियासी फिल्डिंग सजा रही है.
दोनों ही पार्टियों ने प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से को अपना केंद्र बनाया है. पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में आने वाले 10 जिलों कि 54 विधानसभा सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने अभी से पैर जमाना शुरू कर दिया है. इन 54 सीटों में से जहां कांग्रेस के पास अभी 34 विधायक हैं तो भाजपा के पास 12 विधायक हैं. कांग्रेस पूर्वी राजस्थान में तो अपना घर बचाना चाहती है, वहीं दक्षिणी राजस्थान में वह अपना प्रदर्शन बेहतर करना चाहती है. यही कारण है कि जब पूर्वी राजस्थान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा हुआ और उसके बाद करौली में हुई हिंसा से भाजपा ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताने का प्रयास किया तो कांग्रेस पार्टी ने भी ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया. लेकिन इस मुद्दे के जरिए कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान की जनता को पानी देने में राजनीति करने का भी आरोप भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार पर लगा दिया.
पूर्वी राजस्थान के बाद अब जब दक्षिणी राजस्थान में देश के गृह मंत्री अमित शाह का दौरा प्रस्तावित है. ऐसे में कांग्रेस भी उदयपुर में अपना चिंतन शिविर 13, 14 और 15 मई को करने जा रही है, जिससे न केवल उदयपुर बल्कि गुजरात के विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ सके. क्योंकि उदयपुर में प्रस्तावित चिंतन शिविर के जरिए कांग्रेस पार्टी के अगले अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के नाम पर मुहर लगाने का प्रस्ताव आ सकता है. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की रणनीति भी आधिकारिक तौर पर उदयपुर से ही लागू होगी. कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि इस कदम से नई ऊर्जा का संचार होगा.
ये हालात हैं अभी पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में :
- पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान के 10 जिलों में 54 विधानसभा सीटें हैं.
- 34 सीटों पर कांग्रेस जीती है.
- 12 सीटों पर भाजपा ने मारी बाजी.
- 5 सीटों पर निर्दलीयों ने किया कब्जा.
- 2 सीटें डूंगरपुर में बीटीपी के खाते में गई.
- 1 सीट भरतपुर में आरएलडी ने जीती.