जयपुर. देश में जातिगत जनगणना को लेकर एक बहस शुरू हो गई है, जिसमें अब कांग्रेस पार्टी भी शामिल हो गई है. राजस्थान कांग्रेस से जुड़े नेता हों या विभिन्न समाजों से जुड़े नेता, सभी अब जातिगत जनगणना की मांग करने लगे हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जातिगत जनगणना के मामलों के अध्ययन के लिए पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में 7 सदस्य कमेटी का गठन किया है. राजस्थान में भी कांग्रेस के नेताओं ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना की मांग की है. जातिगत जनगणना को लेकर दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में देशभर के ओबीसी से जुड़े अलग-अलग पार्टियों के विधायक और नेता इस मसले पर एक होकर गैर राजनीतिक मंच पर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल के नेतृत्व में नजर आए.
राजस्थान में कांग्रेस के ओबीसी नेताओं ने की जातिगत जनगणना की मांग दरअसल जातिगत जनगणना को लेकर सबसे ज्यादा मांग अगर किसी की ओर से की जा रही है तो वे हैं विभिन्न ओबीसी जातियों के संगठन. ऐसे में कांग्रेस के ओबीसी के नेता भी इस मांग को लेकर आगे आ रहे हैं.
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ओबीसी 55 नहीं 65% हैं, जबकि आरक्षण 21 प्रतिशत
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के नेता जातिगत जनगणना की मांग करते हुए दिख रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व विधायक भोला राम सैनी ने कहा कि जातिगत जनगणना जरूरी है और केंद्र सरकार इसे करवाए, क्योंकि इसके बिना 15% लोग सत्ता में आ जाते हैं और बाकी बचे लोग देखते रह जाते हैं. वहीं कांग्रेसी ओबीसी प्रकोष्ठ के संयोजक राजेंद्र सेन ने कहा कि यह मांग केवल कांग्रेस पार्टी की ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दल को छोड़कर बाकी सभी विपक्षी पार्टियां यह मांग कर रही है.
उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग जब 55% है उसके बावजूद उसे राज में भागीदारी नहीं मिल रही है. वर्तमान आरक्षण में कई विसंगतियां हैं, ओबीसी को आरक्षण तो दिया गया लेकिन वह प्रैक्टिकल नहीं है. उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण में 55% लोगों को 21% आरक्षण मिला है. जबकि आरक्षण जातिगत आधार पर मिलना चाहिए. यह विसंगति जातिगत जनगणना के बाद ही दूर हो सकती है.
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वहीं कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ देहात अध्यक्ष अमर चंद कुमावत ने कहा कि ओबीसी में ही कई जातियां ऐसी हैं जो पिछड़ों में भी पिछड़ी हैं. ऐसे में जब जातिगत जनगणना होगी तो पिछड़ रही जातियों को आगे आने का मौका मिलेगा. इसी तरीके से महात्मा फुले राष्ट्रीय जागृति मंच के सचिव विक्रम सांखला ने कहा कि पिछली सरकार ने जब जनगणना करवा दी थी तो पता नहीं क्या कारण है कि वर्तमान मोदी सरकार इस आंकड़े को छुपा रही है.
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि ओबीसी में ही ऐसी कई जातियां हैं जिन्हें राजनीतिक और एजुकेशन में फायदा नहीं मिल रहा है. वे पिछड़े के पिछड़े रह गए हैं.