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Special: पुलिस की कार्यप्रणाली पर घिरी गहलोत सरकार...इन कांग्रेस विधायकों ने पुलिस-प्रशासन पर खड़े किए सवाल - वायरल

राजस्थान में सत्ताधारी दल होने के बाद भी कांग्रेस (Congress) के विधायक समय-समय पर पुलिस की कार्यप्रणाली ( Police Operations) पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही कहा है कि आमजन का पुलिस से विश्वास उठ रहा है. पुलिस थानों में ही महिलाए सुरक्षित नहीं हैं. पुलिस की कार्यप्रणाली अपराधियों को बचा रही है. आलम यह है कि राज्य के पूर्व डीजीपी (DGP) और कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने पुलिस की कार्यशैली के विरोध में धरने पर बैठकर गहलोत सरकार (Gehlot Government) को कठघरे में खड़ा कर दिया था.

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कठघरे में पुलिस की वर्दी

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Published : Oct 28, 2021, 2:21 PM IST

जयपुर. सत्तारूढ़ कांग्रेस के 11 विधायकों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर गहलोत सरकार (Gehlot government) को कठघरे में खड़ा कर दिया है. सियासी संकट के बीच नए विवाद में घिरी गहलोत सरकार के लिए विधायकों को खुश करना बड़ी चुनौती है. इन विधायकों ने बढ़ते अपराध (Crime), दुष्कर्म और भ्रष्टाचार (Corruption) के मुद्दों पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर समय-समय पर सवाल खड़े कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) को सीधे तौर पर टारगेट किया है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह विभाग (Home Department) की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में कई मौके ऐसे आए जब सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायकों ने पुलिस महकमे पर सवाल खड़े कर दिए. हाल ही में कांग्रेस विधायक मीना कंवर का पुलिस थाने में बैठकर धरना देने की बात हो या फिर कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा के डीआईजी लक्ष्मण गौड़ के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो. कांग्रेस विधायक हरीश मीणा का अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने का मामला भी सुर्खियों में रहा है. भले ही गलती पुलिस की हो या विधायक की लेकिन असली सवाल यह है कि जिस महकमें की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास हो उन्हीं के दल के विधायक पुलिस के खिलाफ धरने देते क्यों नजर आते हैं?

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विधायक मीना कंवर 17 अक्टूबर को कांग्रेस विधायक मीना कंवर शराब के नशे में होने के अंदेशे में अपने भतीजे के काटे गए चालान के विरोध में पुलिस थाना रातानाड़ा थाने में विरोध करते हुए धरने पर बैठ गई. बाद में पुलिस के आला अधिकारियों के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हुआ. 16 अक्टूबर को करौली जिले में सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायक पीआर मीणा ने करौली पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हटाने की मांग कर दी. हालांकि करौली जिले के ही तीन विधायक लाखन मीणा, रमेश मीणा और भरोसी लाल जाटव ने एसपी का पक्ष लिया.

विधायकों का धरना

पायलट गुट के विधायकों के निशाने पर पुलिस

पायलट (Pilot) गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया के निशाने पर पुलिस की कार्यप्रणाली रही है. विधायक वेद प्रकाश सोलंकी (Ved Prakash Solanki) ने जून महीने में विधायकों की फोन टैपिंग कराए जाने के आरोप लगाए. विधायक वेद सोलंकी ने कहा कि कुछ विधायकों ने उन्हें बताया है कि उनके फोन टैप हो रहे हैं. सितंबर 2021 में विधायक वेद सोलंकी ने कहा कि उन्हें दबाने और बदनाम करने के लिए अश्लील वीडियो कॉल किए जा रहे हैं. जिनकी शिकायत उन्होंने पुलिस अधिकारियों को दी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. जून 2021 में डीडवाना एएसपी संजय गुप्ता की सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के बाद कांग्रेस विधायकों मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया ओर चेतन डूडी समेत भाजपा और आरएलपी के विधायकों ने एसपी की पोस्ट पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुप्ता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की,

विधायक अमीन कागजी पुलिस से भिड़े

कोरोना के खिलाफ चल रहे लाकडाउन के दौरान नवंबर 2020 में विधायक अमीन कागजी ने लोगों को परेशान करने का जयपुर पुलिस पर आरोप लगाया. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हुआ था. जिसमें वह पुलिस को चेतावनी देते दिखाई दे रहे थे.

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जून 2020 में एसीबी ने भरतपुर रेंज में तैनात तत्कालीन डीआईजी लक्ष्मणगढ़ के नाम पर उनके निवास से फोन कर पैसे ऐंठने के मामले में प्रमोद शर्मा को गिरफ्तार किया था. बाद में इस मामले में लक्ष्मणगढ़ को एपीओ कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा ने लक्ष्मण गौड़ को गिरफ्तार करने की मांग कर दी. बाड़ी विधायक ने लक्ष्मण गौड़ पर अवैध बजरी निकासी समेत कई आरोप लगाते हुए अपने क्षेत्र के विधायकों के साथ जाकर मुख्यमंत्री को इसकी शिकायत भी की.

विधायक और पूर्व डीजीपी हरीश मीणा के धरने ने बटोरी सुर्खियां

जून 2019 में टोंक जिले में एक ट्रैक्टर चालक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले पर कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व डीजीपी हरीश मीणा धरने पर बैठ गए. आमरण अनशन शुरू कर दिया. हरीश मीणा का आरोप था की ट्रैक्टर चालक भजन लाल मीणा की मौत उनियारा थाने के पुलिसकर्मियों की मारपीट से हुई. बाद में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बीच-बचाव कर इस मामले में समाधान निकलवाया.

जनवरी 2019 में कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने मथानिया के पास पुलिस अधिकारी को जमकर फटकार लगाई. जिसमें दिव्या मदेरणा पुलिस अधिकारियों को सलाह देती नजर आई की जनता ने उन्हें अपने काम करने के लिए जिताया है. ऐसे में जो भी गलत काम पुलिस कर रही है. उन्हें तुरंत बंद किया जाए. बाद में पुलिस के साथ बहस का वीडियो भी वायरल हुआ था.

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