जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांगों पर बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक हरीश मीणा (Meena raised issue of negligence of officials) ने सरकारी अधिकारियों की योजनाओं के प्रति दिखाई जा रही लापरवाही की बानगी विधानसभा में रखी.
प्रधानमंत्री आवास योजना पर राजस्थान विधानसभा में बहस (Harish Meena on Pradhan Mantri Awas Yojana in Rajasthan assembly) करते हुए उन्होंने कहा कि एक पंचायत समिति में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2400 के करीब संख्या में पात्र लोग थे. लेकिन सभी को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया गया कि उनके घर में टेलीफोन लगा हुआ है. हरीश मीणा ने कहा कि जिस गांव में लैंडलाइन की लाइनें ही नहीं हैं. वहां टेलिफोन कैसे हो सकता है? उन्होंने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसकी जांच की मांग की. वहीं उन्होंने कहा पंचायतों के सरपंचों और प्रधानों के वित्तीय अधिकार छीन कर कलेक्टर को देने से अब प्रधान और सरपंच केवल रबड़ स्टाम्प रह गए हैं.
हरीश मीणा ने कहा कि 22 मार्च को सरपंचों ने जयपुर में विधानसभा घेराव की चेतावनी दी है. जो गांवों में विकास की रीढ़ की हड्डी होते हैं, सरकार को उनकी मांगें माननी चाहिए. हरीश मीणा ने विधानसभा में कहा कि क्या सरपंच के स्टाफ की स्थिति भी किसी ने देखी है, जब अधिकारी ही नहीं होंगे तो अधिकार कैसे मिलेगा. उन्होंने ग्रामीण विकास पथ योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में 78 में से केवल एक ग्रामीण विकास पथ बना है.
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माला तो खूब पहनी गई लेकिन पट्टे नहीं बंटेःप्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री रहे भाजपा विधायक पुष्पेंद्र सिंह ने अनुदान मांगों की बहस में भाग लेते हुए कहा कि पिछले 2 साल से नरेगा में बढ़ोतरी केवल इस कारण हो रही है, क्योंकि कोरोना के चलते लोग गांव में आ गए थे. उन्होंने नरेगा में मेट में रोस्टर प्रणाली लागू करने की बात करते हुए कहा कि सरपंच के रिश्तेदार को ही मेट बना दिया गया है. जिसके चलते पूरे सिस्टम में खेल चल रहा है. उन्होंने प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत बांटे गए पट्टों को लेकर कहा कि इस अभियान के तहत गांव में माला और साफे तो बहुत पहने गए, लेकिन पट्टे बांटने का काम नहीं हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पट्टे बांटने के बाद बाकी पट्टे पैसे लेकर दिए जा रहे हैं.