जयपुर. राजस्थान में एक तरफ कांग्रेस पार्टी राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए निर्दलीय 13 विधायकों पर पूरी तरीके से निर्भर है. 13 में से 12 निर्दलियों को बाड़ेबंदी में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मान मनव्वल कर रहे हैं. निर्दलीयों की हर मांग को पूरा भी किया जा रहा है. इसमें भले ही कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं का साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिल रहा हो. लेकिन निर्दलीयों को लगातार मिल रही प्राथमिकता से उन नेताओं के सामने संकट खड़ा हो गया है ,जिन्होंने इन्हीं निर्दलीयों के सामने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और चुनाव हारे.
यही कारण है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस के चार प्रत्याशी राजस्थान के संगठन चुनाव के प्रभारी संजय निरुपम से मुलाकात करने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय (Rajasthan organization election in charge Sanjay Nirupam ) पहुंचे. वे यह कहते हुए नजर आए कि चाहे मजबूरी हो या कोई और कारण ,भले ही उन्हें सरकार निर्दलीयों को अपने साथ रखे. लेकिन संगठन से तो कम से कम कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीयों को दूर रखा जाए.
संजय निरुपम से मंगलवार को मुलाकात करने शाहपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष यादव, बगरू से कांग्रेस प्रत्याशी रहे रितेश बैरवा, बस्सी के कांग्रेस प्रत्याशी रहे दौलत मीणा और खंडेला से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुभाष मील निर्दलीयों के खिलाफ अपनी शिकायतें लेकर संजय निरुपम के पास पहुंचे. उन्होंने कहा कि हर किसी को पता है कि विधानसभा में कांग्रेस के उन प्रत्याशियों और क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के क्या हालात हैं. जिनके सामने निर्दलीय चुनाव जीते हैं. चारों कांग्रेस प्रत्याशियों ने एक सुर में संजय निरुपम से कहा कि हमारे साथ इस पूरे कार्यकाल में नाइंसाफी हुई है.