जयपुर. राजस्थान में वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. साथ ही राजस्थान के 2 जिलों अलवर और धौलपुर के 72 जिला परिषद सदस्यों और 422 पंचायत समिति सदस्यों के लिए भी चुनाव प्रक्रिया चल रही है. दोनों जिलों में प्रथम चरण के लिए 20 अक्टूबर, द्वितीय चरण के लिए 23 अक्टूबर और तीसरे चरण के लिए 26 अक्टूबर को मतदान होना है.
पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद 30 अक्टूबर को दो जिला प्रमुखों और 22 प्रधानों और 31 अक्टूबर को 22 उप प्रधानों और दो उप जिला प्रमुख के लिए मतदान होगा. इस बार कांग्रेस पार्टी ने दोनों जिलों में टिकट देने के लिए 27 जिलों में हो चुके पंचायती राज चुनाव से सबक लेते हुए गारंटी तय करते हुए टिकट वितरित किए हैं. आप कहेंगे कि टिकट में कैसी गारंटी ? तो आपको बता दें कि साल 2020 और साल 2021 में अब तक राजस्थान में 27 जिलों में पंचायती राज चुनाव हुए हैं, इनमें से जयपुर, भरतपुर, दौसा, जैसलमेर, सीकर और झुंझुनू में कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की, जिसके चलते जयपुर और जैसलमेर में तो पार्टी पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी जिला प्रमुख नहीं बना सकी.
यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने इस बार सबक लेते हुए तय किया है कि जिस भी जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य की गारंटी जिस नेता ने ली है, उस प्रत्याशी से पार्टी के पक्ष में वोट दिलाने की गारंटी भी उसी नेता की होगी. क्योंकि टिकट कांग्रेस पार्टी के विधायकों, विधायक का चुनाव लड़े नेताओं, सांसद का चुनाव लड़े नेताओं और पार्टी के प्रमुख नेताओं के कहने पर ही दिया जाता है, तो अब पार्टी ने भी उन नेताओं से इस बात की गारंटी ली है कि जीतने के बाद उनकी सिफारिश वाला नेता कांग्रेस के समर्थन में ही वोट करेगा.
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को इस बार टिकट दिलवाने वाले नेताओं की गारंटी लेने की आवश्यकता इसलिए पड़ी है क्योंकि अब तक राजस्थान में 27 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 6 जिलों जयपुर, भरतपुर, दौसा, जैसलमेर, सीकर और झुंझुनू में कांग्रेस पार्टी के ही जिला परिषद सदस्य ने क्रॉस वोटिंग की. क्रॉस वोटिंग के चलते जयपुर और जैसलमेर के जिला प्रमुख बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस नहीं बना सकी. तो इसी तरह से बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी कई प्रधान भी अपने नहीं बना सकी. अब कांग्रेस पार्टी ने यह तय किया है कि अगर कांग्रेस पार्टी का कोई जिला परिषद व पंचायत समिति का सदस्य क्रॉस वोटिंग करता है तो उसकी जिम्मेदारी उसे टिकट दिलवाने वाले नेता की होगी.
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की ओर से पंचायती राज चुनाव में क्रॉस वोटिंग की बात कोई नई नहीं है. 2021 में राजस्थान में 6 जिलों के चुनाव में जयपुर जिला प्रमुख का पद तो कांग्रेस के सदस्यों की क्रॉस वोटिंग से गया ही, लेकिन क्रॉस वोटिंग भरतपुर और दौसा में भी हुई. हालांकि भरतपुर और दौसा की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने तो एक बार पार्टी को नुकसान कर ही दिया था.
इसी तरीके से साल 2020 में भी 20 जिलों के चुनाव में जैसलमेर जिला प्रमुख का पद कांग्रेस के ही जिला परिषद सदस्यों की क्रॉस वोटिंग के चलते गया. इन्हीं चुनाव में सीकर और झुंझुनू के कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने कांग्रेस खिलाफ वोट दिया, हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पास पहले से ही पूर्ण बहुमत था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने भाजपा के जिला प्रमुख को अपना वोट दिया. इतना ही नहीं कांग्रेस के सिंबल पर जीत कर आए पंचायत समिति सदस्यों ने भी क्रॉस वोटिंग करने में कोई कमी नहीं छोड़ी और कई जगह प्रधान का पद भी कांग्रेस के हाथ से इसी क्रॉस वोटिंग के चलते गया.
2021 में इन जिला परिषद चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग
जयपुर जिला प्रमुख- जयपुर जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बहुमत से ज्यादा सदस्य जीते थे. इसके चलते माना जा रहा था कि कांग्रेस की ही जिला प्रमुख बनेगी, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने कांग्रेस के सिंबल पर जीत कर आई रमा चोपड़ा को न केवल भाजपा ज्वाइन करवाई बल्कि उन्हें जिला प्रमुख का उम्मीदवार भी बना दिया. कांग्रेस के ही अन्य जिला परिषद सदस्य जैकी टाटीवाल ने भी कांग्रेस के खिलाफ क्रॉस वोट कर दिया. जिसके चलते भाजपा का जिला प्रमुख बन गया और कांग्रेस पूर्ण बहुमत होने के बावजूद हाथ मलते रह गई.
भरतपुर- भरतपुर में जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के 37 में से 14 सदस्य चुनाव जीते, तो भाजपा के 17 सदस्य. ऐसे में चार निर्दलीय और दो बसपा के सदस्य जिला प्रमुख की चाबी बने. लेकिन भरतपुर के चुनाव में निर्दलीय और बसपा के जिला परिषद सदस्यों ने तो भाजपा के प्रत्याशी जगत सिंह को वोट दिया ही, इसके साथ ही कांग्रेस के 5 जिला परिषद सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा के जगत सिंह के पक्ष में मतदान कर दिया. कांग्रेस पार्टी के खुद के 14 वोट थे लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 9 वोट आए. भले ही भरतपुर में भाजपा को बसपा और निर्दलीयों के सहारे भी जिला प्रमुख पद मिल जाता लेकिन कांग्रेस की क्रॉस वोटिंग ने उनकी जीत के अंतर को बढ़ा दिया.
दौसा- दौसा में कांग्रेस ने 29 में से 17 जिला परिषद सदस्य जीतते हुए पूर्ण बहुमत पाया और जिला प्रमुख भी कांग्रेस पार्टी का ही बना. लेकिन जब नतीजे आए तो कांग्रेस के पक्ष में 17 की जगह 16 मत आये. इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस के एक जिला परिषद सदस्य ने दौसा में भी क्रॉस वोटिंग की थी. हालांकि कांग्रेस के पास बहुमत से कहीं ज्यादा वोट से इसके चलते दौसा जिला प्रमुख का पद कांग्रेस ने बचा लिया.