जयपुर.राजस्थान में 5 एकड़ तक की जमीन वाले किसानों की जमीन को कुर्क नहीं किए जाने के बिल के नाम को लेकर राजभवन और सरकार के आमने-सामने होने के मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज अपनी बात (CM Ashok Gehlot on farmer loan waiver) रखी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमने विधानसभा से सिविल प्रोसीजर कोड में संशोधन कर राज्यपाल को भेजा है. राज्यपाल इस बिल को केंद्र सरकार को भेजेंगे और अगर केंद्र सरकार उसे मान लेगी तो राजस्थान में उन किसानों की जमीन नीलाम नहीं हो सकेगी.
इस विधेयक का नाम तकनीकी रूप से अलग हो सकता है, लेकिन राजस्थान विधानसभा ने यह कानून पास किया है, यह तो सबके पास रिकॉर्ड में है. अब राजभवन अगर यह कहता है कि इस नाम का कानून हमारे पास नहीं आया तो यह हो सकता है कि नाम में फर्क हो, लेकिन हमने जो बिल पास किया वह 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों की जमीन नीलाम नहीं किए जा सकने का बिल था. हम नहीं चाहते कि 5 एकड़ तक के किसानों की जमीन राजस्थान में नीलाम हो और उसी मंशा के तहत हमने विधानसभा से यह कानून पास किया. उस कानून पर हम आज भी कायम हैं कि अगर कोई किसान किसी कारण से डिफॉल्ट भी हो गया तो उसकी जमीन नीलाम नहीं होनी चाहिए.
केंद्र करें किसानों के साथ वन टाइम सेटेलमेंट: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चाहे राष्ट्रीयकृत बैंक हो या फिर इनडायरेक्टली केंद्र सरकार के अधीन आने वाली ग्रामीण विकास बैंक से लोन लेने वाले किसान अगर डिफॉल्ट कर रहे हैं तो कानून के अंतर्गत उनकी जमीन की नीलामी निकाली गई. इसमें राज्य सरकार का कोई दोष नहीं है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विपक्ष ये बताए कि कानून उनकी केंद्र सरकार का, नीलामी निकालने वाले बैंक केंद्र सरकार के अधीन और आरोप राजस्थान सरकार के ऊपर लगते हैं. गहलोत ने कहा कि हमने कर्ज माफ किए उसमें भी विपक्ष गलतफहमी पैदा कर रहा है. जबकि हमने भाजपा के समय के 50,000 तक के किसानों के कर्ज को सम्पूर्ण कर्ज माफी में बदल दिया. इसके बावजूद भी विपक्ष जनता को गुमराह कर रहा है.