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राज्यसभा का 'रण': वोटों की सेंधमारी बचाने में जुटी कांग्रेस...यहां जानें विधायकों का गणित

राज्यसभा चुनाव में भाजपा के वोटों में सेंधमारी के प्रयास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट चुनाव का पूरा जिम्मा देख रहे हैं. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां लगातार पूरे चुनाव को लेकर मॉनिटरिंग में जुटी हैं.

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कांग्रेस-भाजपा की रणनीति

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Published : Jun 3, 2020, 1:43 PM IST

जयपुर. राजस्थान में तीन राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को मतदान होना है. इन 3 में से 2 सीटों पर बहुमत के चलते कांग्रेस का जीतना तय है. लेकिन भाजपा ने दो प्रत्याशी उतारकर प्रदेश में संदेश देने का प्रयास किया है कि कांग्रेस से नाराज विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं.

सेंधमारी बचाने में जुटी कांग्रेस

भाजपा के अनुसार जितने नंबर कांग्रेस के पास हैं, उसमें कांग्रेस को किसी भी तरीके की इन दो सीटों को जीतने में मुश्किल नहीं होगी. लेकिन अब कांग्रेस ने राज्यसभा की सीटों को जीतने के लिए गेम प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. इसमें कांग्रेस पार्टी अपने साथ निर्दलीय और सहयोगी पार्टियों के वोट के साथ ही किसे वरीयता मिलेगी, यह भी पार्टी के नेता भांपते हुए तय कर रहे हैं.

एक ओर जहां कांग्रेस आलाकमान यह देख रहा है कि यदि किसी कांग्रेस विधायक में नाराजगी है तो उसे कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के पाले में रखा जाए. दूसरी ओर भाजपा के विधायकों पर सेंधमारी का प्रयास भी कांग्रेस पार्टी की ओर से अब शुरू हो गया है. हालांकि नंबर के हिसाब से भाजपा के पास भी एक सीट के लिए नम्बर पूरे हैं, लेकिन अगर कुछ वोट भाजपा के कम हो जाते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किल होगी. इससे आगे आने वाले राज्यसभा चुनाव में शायद फिर भाजपा बिना नंबर के अतिरिक्त प्रत्याशी न उतारे.

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वहीं, कांग्रेस में उच्च स्तर पर अपने विधायकों को एकजुट रखने के साथ ही भाजपा खेमे में सेंधमारी की तैयारी पर भी मंथन चल रहा है. कोरोना काल में कार्य के लिए भाजपा के कुछ विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ भी कर चुके हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट लगातार पूरे चुनाव को लेकर अब मॉनिटरिंग में जुटे हुए हैं.

कांग्रेस की पहली वरीयता केसी वेणुगोपाल तो दूसरी में नीरज डांगी

जानकारों की मानें तो कांग्रेस के रणनीतिकारों ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को पहली वरीयता और नीरज डांगी को दूसरी वरीयता में रखा है. हालांकि नंबर गेम के अनुसार, कांग्रेस को किसी तरह की परेशानी दोनों सीटों को जीतने में नहीं होगी. ऐसे में अगर इक्का-दुक्का वोट भी इधर से उधर होता है तो फिर चुनाव में भले ही असर ना हो लेकिन गुटबाजी की खबरों को फिर से प्रदेश में जोर मिल जाएगा.

ऐसे में पार्टी ने अपने और समर्थक विधायकों के वोट की वरीयता इस तरह से फिक्स करने जा रही है कि उससे किसी को कोई परेशानी ना हो. दोनों सीटों पर जीतने के लिए कांग्रेस को 51-51 वोट चाहिए, यानी 102 वोट से कांग्रेस इन सीटों को अपने पाले में डाल लेगी. जबकि खुद कांग्रेस पार्टी के पास ही अपने वोटों की संख्या 107 है. वहीं निर्दलीय और सहयोगी दलों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या 125 हो जाती है. इसी को लेकर पिछले 2 दिन से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओर उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट प्लान तैयार करने में जुटे हैं.

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जानकारों की मानें तो कांग्रेस के थिंक टैंक जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे शामिल हैं. सरकार से किसी भी कारण से नाराज चल रहे कांग्रेस विधायकों को केसी वेणुगोपाल की वरीयता में रखने का मानस बना रहे हैं. ऐसे में अगर कोई नाराजगी किसी विधायक को अपनी सरकार या पार्टी से होगी तो भी वह अपनी नाराजगी का परिचय क्रॉस वोटिंग के जरिए नहीं करेगा, क्योंकि केसी वेणुगोपाल खुद पार्टी के अहम निर्णय लेते हैं. ऐसे में कोई भी विधायक उन्हें वोट देने में अपनी नाराजगी को परे रखेगा.

ऐसे कई विधायक हैं, जो विधानसभा सत्र से लेकर कई दूसरों मौकों पर अपनी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर देते हैं. इन विधायकों में कई वरिष्ठ विधायक भी शामिल हैं, जिनका नंबर मंत्रिमंडल में नहीं आने से वह नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसे विधायकों की संख्या डेढ़ दर्जन के आसपास है. वहीं कई विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने पार्टी आलाकमान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुद ही केसी वेणुगोपाल की वरीयता में शामिल करने की मांग रख दी है. ऐसे में 51-51 विधायकों को दोनों ही पार्टी ऐसे रखेंगी जिसमें किसी तरीके का कोई किंतु-परंतु नहीं हो. वहीं, बाकी वोट विधायकों की इच्छा को देखते हुए तय किए जाएंगे.

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